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* नवतत्त्व *.
१-हड्डियों को सन्धिमें दोनों ओरसे मर्कटबन्ध और उनपर लपेटा हुश्रा पट्टा हो लेकिन खील ना हो, वह 'ऋषभनाराच संहनन है।
२-दोनों ओर सिर्फ मर्कटबन्ध हो, वह 'नाराच' ।
३ एक ओर मर्कटबन्ध और दूसरी तरफ खीला हो, तो 'अर्धनाराचं'। __४-मर्कटबन्ध न होकर सिर्फ खीले से ही हड्डियां जुड़ी हों, तो कीलिका'।
५-खीला न होकर इसी तरह हड्डियां आपस में जुड़ी हों; तो 'सेवाते।
(७८--२) जिनकर्मों से अन्तिम पांच संस्थानोंकी प्राप्ति हो; उन्हें अप्रथमसंस्थान' नाम पापकर्म कहते हैं।
पांच संस्थान ये हैं:-१ न्यग्रोधपरिमण्डल; २ सादि: ३ कुब्ज; ४ बामन और ५ हुँड ।
१-चड़के वृक्षको न्यग्रोध कहते हैं, वह जैसे ऊपर पर्ण और नीचे हीन होता है, वैसे ही, जिस जोव के नाभिका ऊपरी भाग पूर्ण नीचे का हीन हो, तो 'न्यग्रोधपरिमण्डल' संस्थान समझना चाहिये। ___ २-नाभिके नीचे का भाग पूर्ण और ऊपर का हीन हो, तो 'सादि।
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