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दो शब्द मानवजीवनदुर्लभ है। मानवजीवन अजन्मा बनने की साधना का सफल सोपान है। पू. आ. देव राजयश सू. म. सा. का जन्म गुजरात के नडियाद गांव में अजन्मा बनने की साधना के लिए ही हुआ मातासुभद्राबेनएवं पिता जिनदास भाई के धर्म संस्कार से जीवन में प्रवाहित बनी हुई तप-त्याग एवं वैराग्य की सरिता सागर समान पू. गुरुदेव विक्रम सू.म.सा. के चरणारविन्द में विलीन हुई। आप श्री जीवन के हर क्षेत्र में प्रत्येक विषय में परम गुरुकृपा से सफल ही सफल रहे हैं। जीर्णोद्धार एवं जैनोद्धार के आप पुरस्कर्ता हैं । शास्त्राभ्यास साहित्य अध्यापन - चिंतन - मनन के साथ प्रभु भक्ति - ध्यान एवं जप-जाप भी आपका प्रिय विषय है । अतः आपश्री विहरण करते हुए प्रत्येक ग्रामनगर में चौदह पूर्व के सार स्वरुप नवकार मंत्र की महिमा विस्तृत करते हुए फरमाते हैं कि यदि
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