SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir भाषा 諾諾影器器 崇諾器器梁端器諾諾點鼎諾米諾諾諾諾 संघमहामन्दरगिरेवन्माहात्म्यं तहिनयप्रणतोवंदे तदेवं संघस्थानेकधास्तवोभिहितः संप्रत्यावलिकाः प्रतिपादनीवास्ता तिस्तद्यथा तीर्थकरावलिकाग धरावलिका स्थविरावलिका च तत्व प्रथम तीर्थकरावलिकामाह बंदेइत्यादि गाथाइयं निगदसिद्ध गणधरावलिकातुयायस्थतीर्थकृतः सातस्य प्रथमा गंधितवमंडिउ संतुय वारसंगसिहरं संघमहासंदरवंदे 18 नगररहचक्कपउमे चंदेसूरेसमुद्दमेरु मिजोउवमिज्जइस ययंतघगुणायरंवंदे 19 वंदे उसभंजियं संभवमभिनंदणं सुमसुप्पभमुपास ससिपुपफदंतसौयलं सिज्जसंवासपु * संघनो म. महामोटो भगवतरुपौयो में मदरभूत गि० गिरीना राजाने 17 बली जिम मेरुने विषे कूटके तिम नवकोटौ पचखागा तथा उत्तरगुण रुप कूटके गुरु ज्ञान 1 दर्शनर चारित्वइ रूपर• रतनना उज्जल उजला कं०३ तीनकांड के। सी० सीलरुपी अोमोडके सुसुगन्धवासनाछेत. काल प्रतिलेखणादिक भलोतपछे तिणेकरी मण्डितप्रदेश के जेहना मुसिहांत ते१२ अंग१२ उपांगादिकरूपीयोसि सिखरके संघरूपियापानछे सं० ते संघ माहिम मोटो मदरनी परे श्रीभगवंत रूपमेयने व बाँदुक 18 न० नगरनी उपमा 120 रयनी उपमार च. चकनी उपमा३ 50 पदमकमलनी उप माठ चं० चन्द्रमानी उपना५ मु० सुर्यनी उपमा, सं. समुद्रनी उपमा मे मेरुनी उपमा एह पाठ उपमा संघरुपनाखामी भगवंतने छ जो ते जिण उ० उपमाई करोवर्णवीई * निरन्तर ते घना स्वामीतीर्थकरना कह्याछे तं ते संघ रुपगुणनो बागर ते प्रति बाते संघना स्वामि सर्वती थं करमुषकार ते भगी 14 तीर्थकर वादुछ वादु' उन्धी रघभदेव नेते ऋषभदेव नामदोधो तेस्याभणी तेस्वपन१४मांहिला मातायें वृषभनो स्वपनदौठो वा वृषभनो धाकारतोच. अजितनामदीधा तेस्थाभी तेराजासारपसारमतावकाराणो जीनेराजाहारे भणीरसं० श्रीसंभवनाथ 調器需諾諾諾諾諾器端端端諾諾諾諾諾器端需器業 For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy