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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsur Gyanmandir नंदी टी. * नवनवतिःषट् उत्तरंशतं सर्वात्रिंशत् सिहीएकत्रिंशत् सर्वार्थ सिहौषोडशाधिकशतं सर्वायतं सिहायकनवतिः सटानवतिः विपंचामिहीपंच सप्ततिः 415 सर्वासिङ्गावेकोनविंशंशतं पंचपंचाशतसोय स्थापना चवधवध एषाहितीवागंडिका अस्थांचगंडिकायामत्यमक स्थानपंचपंचाशत्ततस्तृतीयस्थांगंडिकाया *मिदमेवादिममकस्थानं तत: पंचपंचाशदेकोनविंशहारान् स्थाप्यते त बप्र 28 34 4151 37 43 55 40 031061 10.8 15 55 * बमेचंकेनाति प्रक्षेपो हितीयादिषु चांकेषु क्रमेयहिक पंचन 31 38 46 35 41 57 54. 52 / / 3. 116 81 53 128 . वकत्रयोदशादयः पूर्वोक्तराथयः क्रमेणप्रक्षेपश्चीयाः प्रक्षिप्यते दूहचादिममकस्थानं सिद्धौततस्तेषु प्रक्षेपणीयेषु राशिषु प्रक्षिप्तेषु सत्सवत्र क्रमेणभवति तावंतस्तात प्रथमादंकादारभ्य सिद्वौसर्वार्थे इत्यवक्रमेणवेदितव्याः एवमन्यास्वपि गंडिकासक्त प्रकारेणभावनीयं उक्तंच विसमुत्तराय पढमाएवम संखवि समुत्तरानेया।सव्य त्यविअंतिम् अन्नाएामंठाणं अलणतीसंवाराठावे उनविपढम पक्व बोसेसे अडपीसाए सव्यत्यदुगाइ उक्लेवो। सिवगडू पढमादी बिविह परियणाण योगेसुएवमाझ्याश्रो गडियात्रो अाधविज्जति परमविज्जति सेतंगडियाणुणोगे सेतं अणुनोगे४ सेकिंतं चूलियाओ चूलियायो आइल्लाणंचउण्हंपुवाणं चूलिया सेसाईपुव्वा अचूलियाइ सेतंचूलियानो दिट्टिवा भवाने विषे तेहनो अनु० अनुयोग तेव्याख्यान ए० तेइम मा आदि देईने गंडिका अर्थना अधिकार कह्या आ० सामान्य चको कह्या से० नेपथ हिवे कि० किम्युचु० चुलिका तेलघुः अध्ययनः जाणवा भा० ने आदिना धूरला नेपहिला च० च्यार पु० पुर्वाने विषे मे० षथाकता दस 10 चु. चुलिका रहितछे से तेए चुलिकाना पांचमो भेद जाणवो दि० हटीवाद पूर्व नेहना प० संख्याती सुवार्य नौवांचणी सं० संख्याता 10 उपदेश EHKWKW HEM***KKHANENEWHIKHEL WHEWMWWWEEKENERAL HEMMAM HERE भाषा For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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