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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir नंदी टौ. 米米米架罪罪米米米米米諾諾諾諾雅諾諾業業狀 बयोपि नया एक एवनय परिकल्पते तत: एवंचवार एवनयाः एतैश्चतुभिर्नयैराद्यानि षट् परिकर्माणि स्वसमयवक्तव्य तथा परिचित्यंते तथाचा हचूर्णिकृत इयाणिं परिकम्मेनयचिंता नेगमो दुविहो संगहिउ असंगहिउय संगहिउसमप विट्ठो असंगहिउववहारं तम्हासंगहो ववहारो उज्जसुउसहाय एकोएवं च उरोनयाए एहिं च उहिं न एहिं ससमदूगा परिकम्माति तथाचाह चूर्णिकृत् चउक नयाईति पाद्या निषट् परिकर्माणि चतुर्नयिकानि चतुर्म योपेतानि तथातैरेवगोथालप्रवर्तिता: पानीविकाः पाषंडिन न राशिका उच्च ते कस्मादिति चेदुच्यते वह ते सर्व वस्तु यात्मकमिच्छति तद्यथा जीवो अजीवो जीवाजीवश्चलोको लोकोलोकालोकञ्चसत् असत् सदसत् नियतचिंतायामपिविविधनयमिच्छति तद्यथाद्रव्यास्तिक पर्यावास्तिकमुभवास्तिकं * चततस्विभौराशिभिनरंतीति खराशिकाः तातेपिसप्तापि परिकर्माणि उच्यते तथा चाइ सत्वकृत सत्ततिराशिया इति मन्न परिकर्माणि वैराधिकानि बेराशिकमतानुयायौ एतदुक्तं भवति पूर्वसूरयो नचिंतायां राशिकमतमबलंवमाना: सप्तापि परिकर्माणि विविधयापि नयचिंतयाचिंतय तिमति सेत्तं परिवमे १सेकिंतमुत्ताइ बावोस पणत्ताइतंजहा उजुगं परिणयापरिणं बहुभंगियविजयचरियं अणंतरपरंपर सामाणं सजुहं संभिण अहवायं सोवत्थियं घंटनंदावत्त वहुलं पुट्टापुढं वियावत्त एवंभूयं यावत्तं चत्तमाणुप्पयंसम कह्यात तं तेनाम कहेछ उ० ऋज सूत्रते सरल 150 परिशित सूत्र व० बहुभंगीक सुत्न३ वि० विघ्नाचारि सुत्र अ० पनंतर सुब५ 50 परं पराना सुबह सामान्य सुत्र० सं० संजयसव संसभिन्न सुबह प० ययात्याग मुत्र 10 मा साबछिय सुब१५० घटसुत्न१२ नं० नंदावत सत्र 13 व बहुल सुत्र 14 पु• पुष्टा पुट्ठी मुब१५ वि० बियावर्त सुत्र 1 ए. एवंभूत मुत्र 17 दु. हिकावत मुब१८ व वर्तमान पद सब 18 मा समभिरुढ सत्वर स 聯辈辈器黑黑黑黑幕养業紫米黑米帶柴柴柴柴機器来謝 भाषा For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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