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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * नंदीभा० ** *HEHREE*** रोपपातिका विजयाद्यनुत्तरविमानवासिन इत्यर्थः तहक्तव्यता प्रतिबहादशा अनुत्तरोपपातिकादशा: तथाचाह सूरिः अगुप्तरोववाद यादसामुणमि त्यादि पाठसिहं यावन्त्रिगमनं नवरमध्ययनमम हो वर्ग: वर्गे च 2 दशदशाध्ययनानिवर्गञ्च युगपदेवोहिश्य ते इति वयएव उद्देशनकालास्त्रयएव समुह धन उववस्था सुकुलेपव्यायाईयो पुणवोहिलाभा अंतकिरियाोय आधविनजंति अणुत्तरोववाइयदसाणं परित्तावायणा संखिज्जा अणुशोगदारा संखिज्जावेढा संखिज्जासिलोगा संखिज्जाश्री निजुत्तीरो संखिज्जाबो संगहणौत्रो संखि उजाअोपडिवत्तीश्रो सेणं अंगठ्याए नवमे अंगे एगेसुयखंधे तिरिसवग्गा तिखिउद्दे सणकाला तिमिसमुहसणकाला संखिज्जाई पयसहस्सा पयग्गणं संखिन्जाअक्सरा अणंतापज्जवा परित्तातसा अणंताथावरा सासयकडनिबद्ध निकाइया जिणपात्ताभावा पापविनंति पम्पविज्जति परूविज्नंति दंसिर्जति निदंसिज्जति सेएवंाया एवंना मसीते गति स्थिति जन्मादिक पामसो तेहना द० दस अध्ययनछेप अनुत्तरोववाई द० दयाने विषे च अनुत्तरोवाईना जे अनुत्तर विमानना देवता नापा अं अंतक्रियानो करवो एतला बांना जिहां भा. सामान्य प्रकारे कयाले ति विणिहीन उदेसाना कालते सामान्यअर्थ ति त्रीणीहीन स०समु देसाना कालते विशेष अर्थ जाणवा सं० संख्याता प० पदाना सहय एतले 46 लाख भने पाठ सहश्र पधिकछे प०अनंता प० पर्यव पचर ने पदाना पर्यावना भेदना अक्षर प० परित्ता वसते अनंता नही बस जीववेंद्रीयादिक अ० अनंता थावरते वनस्पति पाश्री सा० द्रव्यार्थ करीने पविछेद पणे सासताछ क० पर्यायपलटेछ तेभयो प्रसासता कोवानि तेमुत्रअर्थथका गुथ्यानिक निकाचितनि वडपणे वांध्या जिजिनते श्रीवीत रागदेवे प० परुषा XXXXHENEW**HENEWHIKKIMEHHREE भाषा HEEMEHRENEWHEREKHA For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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