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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir नंदो सू० भाषा 龍諜諜諜業開業需諜黑米紫米諾諾器跟蹤器業業狀 धम्मायरियाधम्मकहाबो इहलोड्य परलोड्या इडिविसेसा भोगपरिचाया परियागासुय परिगहा तवोवहाणाई सौलब्वय गुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोव वासपडिवज्जणयापडिमाश्रो उवसग्गासलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाइ पा ओवगमणा देवलोगगमणाई सुकुलेपवायाईयो पुणबोहिलाभा अंतकिरियाोय आपविज्जति उवासगदसाणं परित्तावायणा संखिज्जाअणुबोगदारा संखिज्जावेढासंखिज्जासिलोगा संखिज्जात्रो निज्जुत्तोत्रो संखिज्जात्रोसंगह भोगनो प० परित्याग भोगवीने छांद्या प० केतलादि नवरसां लगे श्रावकनी वृत्तिपालवानो कालदि चानी पुश सु० सुत्रनो प० परिग्रह ते सिहांतनो सांभलवो तथा त० तपते प्रधाननो करको ते१२ भेदे तपसी चील व्रतते 5 अनुजत ते नाम्हाबत गु०३ विणगुणवत 678 वे०४ सिख्या ब्रतते / 1011 12 प० प्रत्याख्यानते नवकारसौ प्रमुखनो करवो पो० पोखधते अष्टमीयादिक पर्व तिहां तपो पवा सनोकरवो प० एतला बानापडिवज्या अंगीकारकीधा 50 प्रतिमाते श्रावक नीइग्यारे 20 उपसर्ग ते देवता कीधा उपद्रव सं० संलेखण्या ते तपकरी कषाय पात्माने दुर्वल करिवो भ० भातपायीनो प० पच खाण करियोषा पाद पोपगमण संधारोते वृक्षनी साखाछे दौरहे तिमसंथारो जाणवुदे देवलोकने विषेग० जाइवोस० भलाकुल पार्य क्षेत्रने विषेप० अवतरिवोपु० वलीवो० वोधिवी जसे समकितनो लाभते जिन धर्मनी प्राप्तिकोस्येचं अंतकियाक रवानीपुछा एह सर्वउपासगद सांगमाहिम सामान्य पणेकह्याछे उ. उपासक द० दमाने विषेप संख्याता वाचना सुत्रार्थ सं० संख्याता प० असुयोग हारते उपदेसादिक धरा जाणवा सं० संख्याता वे० * ते ईद विशेष सं० संख्याता सि. लोक मनुष्ट प् कूद संख्याती सं० संख्याती सं० संग्रहणी ते अंगार्थपछे सं० संख्याती ति सबने विषे करियाणा 黑幕業器聚端器蒸养养業张業業業業需紧業兼差张業署 For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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