________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 紫器器兼差兼差差差柴米羅雅菲諾港养叢叢器器擺著 तिहां जाताना20 अध्ययने अवस्थक्वाध्यादिक नही पाकिला र अध्ययने अवस्यखवाइयादिक 121 कोडि 50 लाख इद् अनेसर्ववर्गना अवस्थधाइया* दिक पांचसयर करतां 125 कोडि कथा गुणाकरे ते मध्ये 121 कोडी 50 लाख कथा काढता येष थाकती कोडी कथा रहे| एतले ए परमार्थ * जि जाना पहिला 10 अध्ययनने विषे पवायादिक नयीशेष अध्ययनने विषे एकेकमांहि ५४०अद्यायानामे भणी५४० नव गुणाकरी तिवारे ते 4850 था एकेक उपण्याइवाने 500 सय 2 उपखा० कथाथाइते 500 गुणाकरता 2430000 थाइ एकेक रुपमा काने विषे 500 सवरधाईका कथाथाइते वली 50. गुणा करतां 12 15000000 एत ली थाइ सर्व संख्याडू थाइ आरचटीका कृतगाथा कहे के एक वीस कोडीसयं लक्खापत्रा 1 संचेवबोधव्या एवंकए समाणेऽगिय मुत्तस्मपत्यारो 1 अने वोजे श्रुतस्कंधेद सधर्म कथाबावर्ग अध्ययन नो समुह इत्यर्थ: तिहां एकेकधर्म कथानावर्गने * विषे 500 मे२ मधाईया कथाइते 500 नेदस गुणोकरी५००० थाइ ते एकेक पखवाईकाने विषे.५००सयरवण्याइयाकथा थाइ ते२५२००० एतली * थाई तेएकेक उपधादू काने विषे ५००मयर अवघाड्या कथा थाडू ते 1250000000 एतला संख्याया पाचटीका कृतगाथा कहेछ पणवी संकोडीसयं एत्यय समलक्वणा इमाजम्हानवनाया संबंधा अक्वायमा ड्या तेग तासोहिज्जति पूड मामओ रामौतघे गलाणं तुपुणरुतबज्जियाणं पमाणमेवं विनि द्दिह 1 इत्यर्थः 2 अग्रे सव'भा होति. इम म. भगवंते आख्यानोके ना० ते ज्ञाताधर्म कथाने विष प. संख्याती वा वाचना ने मुत्त्रार्थ प्रदानरूप पर्वोक्त वाचना सं० संख्याता४ 50 अनुयोग द्वार उपदेशादिक४ जाणवा सं० संख्याता वे० लेछंदविशेष सं) संख्याता सि बोकते गाया सं० संखाती For Private and Personal Use Only