________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsu Gyarmande नंदी टी. रिक्त विविध प्रज्ञप्त तद्यथा कालिकमुत्कालिकं च, तत्र यहिवसनियाप्रथमपश्चिमपौरुषोडब एषपद्यते तत्कालिकंकालेननिवृत्त कालिकमितिव्यूत्यत्ते: 802 बत्पुन: कालवेलावजं पश्यते तदुत्कालिकंचाच्च चूर्णिकत् तत्वकालियनंदिणराण पदमचरमपोरिसी सुपदिजर्ज पुणकाल वेलावन पढिज्ज तंउच लियंति तबाल्पवनय वात् प्रथममुत्कालिकमधिकृत्य प्रश्नमूत्रमाह सेकिंतमित्यादि अथ किंतत् उत्कालिक अतं मूरिराक्ष उत्कालिकं श्रुतम नेकविध भजप्त तद्यथा.दशकालिकंतच्चस प्रतीतंतथाकल्पाकल्प प्रतिपादकमध्ययनं कल्पाकल्पं तथाथुत कल्पनंकल्पः स्थिविरादि कल्प:तत्प्रतिपाद विहंप मातंतंजहाकालिय उक्कालियच सेकिंत उकालिय उक्कालियं अणेगविहं पणतंतंजहा दसवेकालियं कप्पिया कप्पियं चल्लकप्पसुयं महाकप्पसुयं उववाइयं रायपसेणियं जौवाभिगमोपणवणा महापग्णवणा पमायप्पमार्य कसूत्रकहीये मे ते कि केहयो भगवान पायावस्यक सूवथकीव्यतिरिक्तसूबते कुणते भगवंत उत्तरकाळे पावस्यक थकी व्यतिरिक्तसूचना पुण्दोयप्रकार पप्ररुप्या कहेछे का परिले / चोथे पहरे कालरेला सूत्रनो भगवो गुणवोते कालिकमुत्र कहीये उ० उत्कालिक सुबते च्यारिकालयेला व नेमणे गुणे तेदय कालिकादिक नेते कि कुण उ उत्तकालिक सूत्र तत्र गुरुउत्तरकहेक उतकालिक 2 प बनेक प्रकारे पप्ररुप्या सं० तेकोले ददशवकालि* * कतेषाफिले पर नीपनी अध्ययन 1 क कल्पते पाचारनो कहबो तथा 1 कथिवरकल्पादिकना पाचारनो विचार तेकल्प तेशना 2 भेद / चु० लघुग्रंथ तेमध्ये लघुपाचारले तेहने चुम्बकल्पसूत्र कहीये 3 मघणो ग्रंथते मध्ये घणो आचारले ते२४ तीर्थंकरानो विस्तार सचित पाचारले 4 तेहनेम हाकल्पसूत्र कहीये चने लघु कल्पनामांहि एकमावीरनों विस्तारके शेष 23 तीर्थकरनो सखेप पाचारले 4 उ• देवता नारकी मिट गमण उपजे रा० *HEHEKEEHEREDNISHNA 张米器器器器黑米諾諾諾器能张张器業諜米器器業器誰器 भाषा WWHEHEREHENNIN** 52 For Private and Personal Use Only