________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir 米諾諾鼎器兼職兼差叢叢器兼差兼職職業茶業 तथापमत्तत्ति प्रमाद्यंतिम मोहनीयादि कर्मोदयप्रभावत: संज्वलनकषायनिद्राद्यन्यतमप्रमादयोगतः संयमयोगेषु सौदंतिम ति प्रमत्ता: पूर्ववत् कतरिक्त * प्रत्ययः ते च प्रायो गच्छवासिनः तेषां कचिदमुपयोगसम्भवात् तहीपरीता अप्रमत्तास्तच प्रायोजिनकल्पिकपरिहारविशुद्धिक यथालंदकल्पिकप्रतिमाप्रति संनया संजय सम्मदिहिपज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मममिय गम्भवतिय मणमाणं गोयमा संजयसन्मदिटिपज्जत गसंखिज्जवासाउय कमभूमिय गम्भवक्कं तिय मणुस्माणंनो असंजयसम्महिट्रिपज्जत्तगसंखिज्जवासाउयकमाभूमियगम्भव कंतिय मणुस्साणं नो संजयासंजयसम्मदिट्टि पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमिय गम्भवतिय मगुस्साणं जसंजय सम्मद्दिवि पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमिय गम्भववतिय मणुस्माणं किंपमत्त संजय सम्महि ट्रिपज्जतग संखि {म मनुष्यने उ उपजे मनपर्यव ग्यांन ज जोभं. हेभगवान पज्य ससम्यगदृष्टी पपर्याप्तो सं०संख्ातावरसनो धणी क० कर्मभूमि ग गर्भज म०मनु ष्यने उ० उपजेतो किं०किस्य समजती साधुस० सम्यग्दृष्टीने ५०पर्याप्ताने सं संख्यातावर्सना आउखाना धणीने क कर्मभूमिने गगनने म०मनुष्यने उ उपजे अ. असंजती साधुने गुणनथी एतले 4 चौथा गुणठाणाना प०पर्याप्ता सं संख्याता वरसना आउखाना धणी क०कर्मभूमिने गगर्भज म. मनुष्यने उपजे सं संजाता संजतीते श्रावक 5 गुणठाणाना पणी स०सस्यगदृष्टीने प०पर्याप्ता सं० संख्याता वरसना चाउखाना पीने क०कर्म भूमिने ग गर्भज म मनुष्यने उ उपजे गो हे गोतम सं०संजती साधु स सम्यगदृष्टीने पर्याप्ता सं०संख्याता वर्सना आउखाना धणीने क कर्म भूमिने ग• गर्भ जने म मनुष्यने उ उपजे मनपर्यव म्यान संजती साधुने नो नही असंजती सम्यगदृष्टी प.पर्याप्तो सं संख्याता वर्शना आउखानाधणी क कम्म भमि 諾諾紫茉點器業歌黑米紫米諾諾器器器器尖杀器諾諾 For Private and Personal Use Only