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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir h - mewww - - - ( नाडी प्रकाश-३. स्थिताकरतलमुक्तिःस्थिताःमियाहू रिविभूषिताश्चनिधयान्तिष्ट्रतिनित्यमुदा .. टीका-हेमातजो मनुष्य तेरे चरण कमलों को निरंतर अपने देश में ध्यान कर्ता है तिसके मुख मेगद्यरचनारूपीसरस्वतीनित्य नाचती है सके घरमें लक्ष्मी स्थिर रहे मोक्षउसके हाथमें स्थिररहै अष्ट सिध और नवनिधितिस के हार पर नित्य प्रशन्नतापूर्वकशाभावमान स्थि ररहैं पुनः दोहा ... जयजय गुरुपदपदनरजवदीवारंवार भवभेपनवररूजसमनदमनशोकसंसारपुनिवेदौसिंदुरबदनशंभुसूनुगणाराज विधनहरनमंगलकरनरावतजनकालाजवेदोधवसरिचरण अरु अश्विनीकुमार विश्वरोगभयहरणाकाली नो जिन अवतार गिरजा गिरजापतिसहितवदोदोजकरजोर नाडीज्ञानप्रकाशकोरचयथामतमोर. श्लोक नाडीज्ञानं बिनायोवेचिकित्सोकरते भिषकसनेवलभतेलक्ष्मीनधर्मन वेयशः॥३॥ टीका-नाडीकेजाने विनाजोवैद्य ओषधिअर्थातरोगीकोचिकित्सा करताहैवोवैद्यधनधर्मोर यशको नहिं पाता॥३॥ अथ वैद्यलक्षणामाहलि. - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020491
Book TitleNadi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Dattaram Mathur
PublisherGangavishnu Krushnadas
Publication Year1867
Total Pages108
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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