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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐंग्लंडीयमतानुसारनाडीपरीक्षा (५७) पर किसी प्रकारका दवाव नही जैसे बंध, अथवा संगी, या रसौली, वा घोटू आदिका सहारा नहोवे । क्षणिक और मानसिक रोगों में अनेकवार नाडी देखनी । चाहिये कि जिस्सै रोग भलेप्रकार समझमें आयजावे । आरोग्यावस्थाकी नाडी। मध्यम श्रेणीके युवापुरुषोंकी नाडी आरोग्यावस्थामें साथ प्रबंधके कुछ दवने वाली और कुछ भरीहुई होती है। परंतु चिन्ह भेद और अवस्था तथा स्वभावा. दि भेदसे नाडीमें अंतर होजाताहै और बालिकाओंकी नाडी पुरुषोंकी अपेक्षा कुछ छोटी होती है और शीघ्रचारिणी होती है दंभी प्रकृतिवालोंकी नाडी भरीहुई, कठोर, और शीघ्रगामिनी होती है कोमलस्वभाववाले मनुष्योंकी नाडी धीरे धीरे चले है और नम्र होती है । वृद्धावस्थामें कठोर होती है । नाडीकी स्पन्दनसंख्या ( जिनका निश्चय करना नाडीकी और अवस्थाओंसे सुगमहै ) सदैव हृत्पद्मके संकुचित खटकेके समान होती है । इस्सैं कदापि अधिक नहीं होती, परंतु अपस्मार आदि चित्तके रोग और मूर्छा आदिमें एक दो गति, न्यून होजाती है। छोटे वालककी नाडीकी गति अधिक होती है, फिर जैसे जैसे अवस्थाकी वृद्धि होती है उसी प्रकार क्रमसैं नाडीकी स्पन्दन संख्या न्यून होती जाती है परंत वृद्धावस्थामैं फिर कुछ कुछ बढती है । अवस्थानुसारनाडीकीगति इस चक्रमें जो नाडीकी संख्या है वह आरोग्यपुरुषके लिये ठीक है। परंतु गतिप्रमाण रोगावस्थातें न्यूनाधिक होजाती है । यदि सद्यःप्रसूत बालककी नैरोग्यपुरुषकी नाडीकी गति १ मिटमें २० से १३० ७२ वार हो और स्त्रीकी ८२ पार होय द्धपीनेवाले बालककी तो ठीक जाननी, स्त्रीकी १० गति पुरु५ वर्षसै ६ वर्ष तकके बालककी से सदैव अधिक होती है । और गर्मी. १५ वर्षतकवाले नवयुवावस्थामें सूजन, ज्वर, अतिदुबलता, नागना, पे, -----थोराके प्रथमदर्जासेलाधिर. क्रोध, | ३५ वर्षतक आर्थात् युवावस्थामें जोश आदिमें ७० या अस्सीसैं १०० ३५वर्षसे लेकर ५० वर्ष वालोंकी या १२० वरंच २०० तक नाडीकी ग____ अर्थात् वृद्धावस्थामें -ति संख्यां प्रत्येक मिंटमें हो जाती है अति वृद्धावस्थामें .वं सरदी अलस्य, निद्रा, कुछ थकास्ट, अवस्था तक १०० ७५ सें ८० For Private and Personal Use Only
SR No.020491
Book TitleNadi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Dattaram Mathur
PublisherGangavishnu Krushnadas
Publication Year1867
Total Pages108
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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