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( १४ ) बन्दना नमस्कार करना स्वीकार नहीं है । सो श्रीउपासक दशाङ्ग सूत्र का वह पाठ पाठकगणों के प्रतीत होने के लिये नीचे लिखा जाता है।
पाठ यह हैनोखलु मे भंते कप्पइ अजप्पभिइंचणं अन्न उथ्थियावा अन्नउथ्थिय देवयाणिवा अन्न उथ्थिय परिग्गहियाई अरिहंतचेइयाई वा वंदित्तए वा नमंसित्तए वा पुब्बिं अणालित्तेणं आलवित्तए वा संलवित्तए वा तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दाउंवा अणुप्पदाउंवा णण्णथ्थ रायाभिआगेणं गणाभिओगेणं बलाभिओगेणं देवयाभिओगेणं गुरुनिग्गहेणं वित्तिकंतारेणं कप्पइमे समणे निग्गंथे फासुएणं एसणिजेणं असण पाण खाइम साइमेणं वथ्थपडिग्गह कंबल पाय पुच्छणेणं पाडिहारिय पीढ फलग सेजा संथारएणं ओ सहभेसज्जेणय पडिलाभेमाणस्स विहरित्तए तिकटुइमं एयाणुरूवं अभिग्गह अभिगिण्हंइ ॥
पञ्चम प्रमाण । श्रीज्ञातासूत्र में लिखा है कि जिनमन्दिरों में जाकर जिन
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