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Achar
प्रकाशकीय
प्रस्तुत पुस्तक 'मीराँबाई' के सम्बन्ध में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का द्वितीय प्रकाशन है । इससे पूर्व श्री परशुराम चतुर्वेदी द्वारा सम्पादित 'मीराँबाई की पदावली' नामक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। 'मीराँबाई' की भक्ति ने हिन्दी साहित्य को किस प्रकार रस-सिक्त किया है, यह साहित्यानुरागियों से अविदित नहीं है । यह ग्रन्य दो खण्डों में विभक्त है १. जीवनचरित, २. आलोचना । प्रथम खण्ड में मीराबाई के जीवन के सम्बन्ध में अनुसन्धानपूर्वक अनेक ज्ञातव्य बातों का परिचय कराया गया है और दूसरे खंड में मीराँबाई की रचनाओं के साथ भक्तियुग में मीराँ उसकी प्रेमसाधना और उसकी काव्य-कला के सम्बन्ध में परिमार्जित समीक्षा देकर हमारे विद्वान् लेखक श्री डा० श्रीकृष्णलाल एम.ए., डी. फिल. ने इस अभक्तियुग, इसीलिए अकल्याणमय काल में प्राचीन भक्ति परम्परा का स्मरण कराया है।
पुस्तक की उपादेयता तो विज्ञ पाठकों की सम्मति पर ही निर्भर है। किन्तु हम इतना अवश्य कहेंगे कि सम्मेलन को मध्यमा और उत्तमा परीक्षा के परी. क्षार्थियों के शान-वर्द्धन में यह पुस्तक परम सहायक होगी।
गुरु पूर्णिमा
२००६
ज्योतिप्रसाद मिश्र निर्मल
साहित्य मंत्री
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