________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीकीसी डितिशाच पंचमेबीजेता वर्मोग्रतारवा विष्णूपासितामाह // वागिति // कामः॥ कीं // अनुग्रहसर्गवान् // हंसः // औविसर्गयुतःसासौः // यथा // ऐंह्रीं श्रीं क्लींसौ हुंउग्रतारेहुंफडिति ॥३॥द्वितीयांविष्णूपासितामाहातारेति॥शिवाह्रीं।भृगुःसः // यथा // ॐहुंहींकींसो हुँफडिति॥शाचतुर्मुखोपासितमंत्रद्वयमाह।एतयोरिति॥एतयोरनंतरोक्तयोविष्णूपासितयो दशाक्षरीसताक्षरयोविद्ययोःपंचमेबीजेसौरूपेयदिआदौहकारः॥अंतेरेफः॥तदातदेवविद्याद्वयंचतुर्मुखसे वाक्शक्ति कमलाकामोहंसोनुग्रहसर्गवान् // वर्मोग्रतारेवर्मास्त्रंविष्ण्वाद्वादशाक्षरी // 3 // तारवर्म शिवाकामामनुसर्गयुतोभृगुः // वर्मास्त्रमेषासप्तार्णासिद्धिदाविष्णुसेविता // 4 // एतयोःपंचमेवीजेसका रोहादिरांतिमः॥ तदाविद्याद्वयंप्रोक्तंचतुमुर्खसमर्चितम् // 5 // तारोमायावर्ममायावर्मास्त्रंचरसाक्षरी॥ हरिरग्नित्रिमूर्तीदुयुग्वर्मपुटितादिजा // 6 // अस्त्रांतापंचवर्णीयंप्रोक्तमेकजटाद्वयम् // रेफशांती दुयुग्णांतोवर्मास्त्रंकामवाग्भवम् // 7 // व्यंह आदौयस्यर अंतिमोयस्यसम्हादिरांतिमः॥यथा॥ ऐंहींश्रीक्लींहसौहुंउग्रतारेहुंफडित्याद्या ॥ॐडंहीं क्लींहूसौ हुंफडितिद्वितीया // 6 // एकजटाद्वयमाह // तारइति // अग्नित्रिमूर्तीदुयुक्हरिरईबिंदुयुक्तका रस्त्रीं // स्पष्टमन्यत् // यथा ॥ॐहींहुंह्रींहुंफटइतिप्रथमां // त्रींहुंह्रीं हुंफडितिद्वितीया // नारायणीयामाह॥ रेफेति // रेफर शांतिईकारः॥ अनुस्वारयुक्तोणांतस्तः॥ यथा // त्रीहुंफटक्लींऐमिति // 6 // 7 // - For Private and Personal Use Only