________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर्थमाह // मायेति // मायाह्नीं // स्त्रीबीजस्त्रीं // अर्धीदुयुतखंहूं // स्वर्गस्वरूपं // खादिमः // Valकः // पालायेत्यादिस्वरूपं // सर्वसर्वोद्भवःसर्वशुद्धिमयइतिपदत्रयंचतुर्थ्यतं // स्वरूपमग्रे // दीर्घारतिः॥णो // वायुः॥ यः॥ शुभ्रास्वरूपं // अनिलोयकारः ॥सुराभाजनायस्वरूपं // भगीसत्यः॥ एयुतोदादे॥वीत्यादिस्वरूपं॥हन्नमः॥यथा॥ह्रींस्त्रींहूस्वर्गकपालायसर्वाधारायसर्वायसर्वोद्भवायसर्वशुद्धिम मायास्त्रीबीजमदुयुतंखस्वर्गखादिमः // पालायसर्वाधारायसर्वःसर्वोद्भवस्तथा // 76 // सर्वशुद्धिम यश्चेतिउताःसर्वासुरांततः॥ रुधिरारुरतिर्दीर्घावायुःशुभ्रानिलःसुराः // 77 // भाजनायभगीसत्योवी कपालायहन्मनुः॥ तुर्योरमेषुवर्णोयंमहाशंखप्रपूजने // 78 // तत्रार्कमंडलंचेष्ट्रासलिलंमलमंत्रतः॥ प्रपूरयेत्सुधाबुद्ध्यागंधपुष्पाक्षतानक्षिपेत् // 79 // यायसर्वासुररुधिरारुणायशुभ्रायसुराभाजनायदेवीकपालायनमइतिचतुर्थोमंत्रः॥रसेषुवर्णः॥ षट्पंचाशद क्षरः // एभिर्मत्रैर्महाशंखसंपूज्यअंसूर्यमंडलायनम इत्यर्कमंडलंसंपूज्यमूलमंत्रपठन्सुधाबुद्धचातोयंसंपू र्यतत्रगंधपुष्पाक्षताक्षिपेत्॥सुधासुरात्रेतिरहस्यम् // 76 // 77 // 78 // 79 // For Private and Personal Use Only