________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie // 129 ॥कुमारीरपीतिभोजयेदित्यनेनान्वेति // 130 // 131 // 132 // 133 // मंत्रांतरमाह // शाङ्गीति // शाींगः॥मांसस्थोलकारस्थः॥ग्लमितिबीजं / हरिद्रागणपतेः पूजनंपूर्ववत् // 134 // 135 // इतिमंत्रमहोदधौ तर्पयित्वापुरस्तस्यप्तहस्रसाष्टकंजपेत्॥शतंहुत्वासाज्यपूपैर्भोजयेद्ब्रह्मचारिणः // 129 // कुमारीरपिसं तोष्यगुरुंप्राप्नोतिवांछित॥लाजैःकन्यामवाप्नोतिकन्यापिलभतेवरम् // 130 // ध्यानारीरजःस्रातापूज यित्वागणाधिपम् // पलप्रमाणगोमूत्रपिष्टा-सिंधुवचानिशाः // 131 // सहस्रमंत्रयेत्कन्याबटून्त्संभो ज्यमोदकैः॥ पीत्वातदोष,पुत्रलभतेगुणसागरम् // 132 // वाणीस्तंभरिपुस्तभंकुर्यान्मनुरुपासितः॥ जलाग्निचौरसिंहास्त्रप्रमुखानपिरोधयेत् // 133 // शाीमांसस्थित सेंदु:जमुक्तंगणेशितुः॥ हरिद्राख्य स्ययजनंपूर्ववत्प्रोदितंमनोः // 134 // प्रोक्ताएतेगणेशस्यमंत्राइष्टमभीप्सता|गोपनीयानदुष्टेभ्योवदनी याःकथंचन // 135 // इतिश्रीमहीधरविरचितमंत्रमहोदधौगणेशमंत्रकथननामद्वितीयस्तरंगः॥२॥ अथकालीमनून्वक्ष्येसद्योवाकसिद्धिदायकान् // आराधितैयःसर्वेष्टंप्राप्नुवंतिजनाभुवि // 1 // नौकायांगणेशमंत्रकथननामद्वितीयस्तरङ्गः॥२॥ // कालीमंत्रान्वक्तुंप्रतिजानीते // अथेति // 1 // DOT हरिद्रा // For Private and Personal Use Only