________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir षडङ्गमाह // रमेति॥श्रींगांहृत्॥श्रींगीशरः॥श्रृंगूशिखेत्यादि॥ध्यानमाह // दन्तति // दन्तशङखौदक्षयोः। रमागणेशबीजाभ्यांदीर्घाब्याभ्यांषडङ्गकम् // दन्ताभयेचक्रवरौदधानंकराग्रगस्वर्णघटंत्रिनेत्रम् // घृताब्जयालिङ्गितमब्धिपुत्र्यालक्ष्मीगणेशंकनकाभमीडे // 101 // चतुर्लक्षंजपेन्मंत्रसमिद्भिवल्व शाखिनः॥ दशांशंजुहुयात्पीठेपूर्वोक्तेतंप्रपूजयेत् // 102 // आदावङ्गानिसंपूज्यशक्तीष्टाविमायजे त् // बलाकाविमलापश्चात्कमलावनालिका // 103 // विभीषिकामालिकाचशाङ्करीवसुवालिका॥ शंखपद्मनिधीपूज्यौपार्श्वयोर्दक्षवामयोः॥१०॥ लोकाधिपान्तदत्राणितद्वहिःपरिपूजयेत // एवंसिद्धे मनौमंत्रीप्रयोगान्कर्तुमर्हति // 106 // उरोमात्रेजलेस्थित्वामंत्रीध्यात्वार्कमण्डले // एवंत्रिलक्षंजपतो धनवृद्धिःप्रजायते // 106 // बिल्वमूलंसमास्थायतावजप्तेफलंहितत् // अशोककाष्ठेचलितेवह्ना वाज्याक्ततण्डुलैः॥ 107 // अभयचक्रेवामयोः // शुण्डानेस्वर्णकुम्भः॥२०१॥ 102 // 103 // 104 // 105 // 106 // तावतविलक्षं तत्फलंधनवृद्धिः // 107 // For Private and Personal Use Only