________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 218 आषाढीति // चातुर्मास्येऽवश्यंतत्तद्देशलभ्यस्वेष्टकिंचिद्वस्तुवर्जयेत् // योविनानियममयोव्रतवाजाप्यमे सटीक ववा // चातुर्मास्यनयेन्मूढोजीवन्नपिमृतोहिसइत्यादिनिंदाश्रवणात् // 98 // 99 // 100 // // इति / (त०२४ आषाढीकार्तिकीमध्येकिंचिनियममाचरेत् // देवसंप्रीतयेविद्वाञ्जपपूजादितत्परः॥ 98 // एवंयोभ जतेविष्णुंरुद्रंदुर्गागणाधिपम् // भास्करंश्रद्धयानित्यंसकदाचिन्नसीदति // 99 // सधर्ममाचरन्नित्यं देवपूजापरायणः // जितेंद्रियोखिलान्भोगान्प्राप्येहानंततांब्रजेत् // 10 // इतिश्रीमंत्रमहोदधौद दमनपवित्रार्चननिरूपणंनामत्रयोविंशस्तरंगः // 23 // ॥साधकानांशीघ्रसिद्धयमंत्रशुद्धिमथोब्रुवे॥ साधकस्यतुनामादिवर्णमारभ्यशोधयेत् // 1 // मंत्राद्यक्षरपर्यंतंचक्रेसिद्धादिकेक्रमात् // जन्मों त्थंप्रसिद्धंवानामग्राह्यविशोधने // 2 // श्रीमंत्रमहोदधिनौकायांदमनपवित्रार्चनकथनंनामत्रयोविंशस्तरंगः // 23 // मंत्रशुद्धिवक्तुमाह साधकानामिति // 1 // 2 // नित L 91893RD -- For Private and Personal Use Only