________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 23 // 24 // ब्रह्मचारिवानप्रस्थयतयआद्यमंत-गमेव तेषांद्रव्याभावाद्वहिर्यागेनाधिकारः॥२५॥ 26 // तदुत्थामृतधाराभिःप्रीणयेत्स्वेष्टदेवताम् // जपंकृत्वानिवेद्यास्मैमनसानविसर्जयेत् // 23 // मूर्द्धहृत्पाद गुह्येषुतनौपुष्पांजलीन्क्षिपेत् // अंतर्यागंविधायेत्यवाह्यपूजनमाचरेत् // 24 // अंतर्यागबहिर्या गौगृहस्थःसर्वथाचरेत् // आद्यमेवब्रह्मचारीवानप्रस्थोयतिस्तथा // 25 // वर्द्धन्यांप्रक्षिपेत्किचिद पोदकमनन्यधीः॥प्राणानायम्यमूलेनवानेगुरुचयंनमेत् // 26 // दक्षिणेचगणेशानंपीठपूजामथाचरेत्॥ स्वर्णादिनिर्मितेयंत्रेयद्वाचंदननिर्मिते // 27 // मंडूकात्परतत्वांतदिङ्मध्येपीठशक्तयः॥ पृथिव्यनंतरं पूज्यःक्षीराब्धिर्माधवेश्रियम् // 28 // इक्षुसिंधुर्गणेशेस्यादन्यत्रामृतसागरः // अग्निराक्षसवाय्वी शकोणेधर्मादयःस्मृताः // 29 // इन्द्रकीनाशवरुणसोमाशासुनभादिकाः // धर्मादिपूजनेप्राची तथैवावरणार्चने // 30 // // 27 // मंडूकादयःपरतत्वांता:पीठदेवताउक्ताः॥२८॥२९॥ कीनाशोयमः॥ नञादिकाअधर्मादयः॥३०॥ For Private and Personal Use Only