________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलामातृकायाःषडंगमाहातारैरितियथा // अंॐआहृत् ॥ॐईशिराउंॐऊंशिखा॥ एॐवर्म ॥ओंॐ औनेत्रम् // ॐ अस्त्रम् // ध्यानमाह // शंखेति // शंखपरशुकपालाक्षमालामृतकुंभादक्षहस्तेषु // तारै षडंगंकुर्वीतह्रस्वदीधीतरस्थितैः // शंखचक्राब्जपरशुकपालान्यक्षमालिकाम् // 135 // पुस्तकामृतकुंभौचत्रिशूलंदधतींकरैः // सितपीतासितश्वेतरक्तवर्णैत्रिलोचनैः // 136 / / पंचास्यैःसंयु तांचंद्रसकांतिशारदांभज॥ध्यात्वैवंतारपूर्वीतांन्यसेत्Éतकलान्विता॥१३॥निवृत्तिश्वप्रतिष्ठाचविद्या शांतिस्तथेधिका / दीपिकारेचिकाचापिमोचिकाचपराभिधा // 138 // सूक्ष्मासूक्ष्मामृताज्ञानामृ ताचाप्यायनीततः॥ व्यापिनीव्योमरूपाचानंतासृष्टिसऋद्धिका // 139 // स्मृतिमधाततःकांतिल क्ष्मीर्युतिःस्थिरास्थितिः॥सिद्धिर्जरापालिनीचशांतिरीश्वरिकारतिः॥१४॥कामिकावरदाचाथाहा दिनीप्रीतिसंयुता॥दीर्घातीक्ष्णातथारौद्रीभयानिद्राचतन्द्रिका // 141 // क्षुधास्यात्कोधिनीपश्चाकि योत्कारीसमृत्युका // पीताश्वेतारुणापश्चादसितानंतयान्विता // 142 / / उक्ताकलामातृकैवंतत्तद्भ तःसमाचरेत् // ततःस्वमूलमंत्रस्यन्यासान्कल्पोदितांश्चरेत् // 143 // अन्यान्यन्येषु // मध्येप्राग्दक्षिणपश्चिमोत्तरेर्मुखःक्रमात्सितपीतकृष्णसितरक्तैर्युताम् // 135 // 136 // तारपूर्वामिति ॥ॐअंनिवृत्त्यैनमइत्यादि॥ 137 // 138 // 139 // 140 // 141 // 142 // 143 / / For Private and Personal Use Only