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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यादियोगश्चपूर्ववदिति // ह्रीं श्रींक्लीयंक्लीं श्रींहीत्वगात्मभ्यांपुरुषोत्तमवतुदाभ्यांनमोहृदीत्यादि // गणे शमातृकामाह // गणेशइति // 117 // षडंगमाह // स्मृत्यति // दीर्घ युक्तगकारेगांगम् // गांगींगूंगेंगौंगः केशवाद्यामातृकोक्तायादियोगश्चपूर्ववत् // गणेशमातृकायास्तुमुनिर्गणकईरितः॥ 17 // निवृद्गाय विकाछंदोदेवःशक्तिविनायकः // स्मृत्यादीर्घाव्ययाचांगंकृत्वाध्यायेद्गजाननम् / / 118 // गुणांकुशव राभौतिपाणिरक्ताब्जहस्तया // प्रिययालिंगितंरक्तात्रनेत्रंगणभजे // 119 // एवंध्यात्वान्यसेत्स्वीय बीजपूर्वाक्षरान्वितम्।विनेशोह्रीसमायुक्तोविनराज श्रियायुतः॥२०॥विनायकःपुष्टियुतःशांतियुक्तः शिवोत्तमः॥विघ्रकृत्स्वस्तिसंयुक्तोविघ्नहर्तासरस्वती॥१२१॥ गणस्तुस्वाहयायुक्तएकदंतःसुमेधया // द्विदंतःकांतिसंयुक्तोगजवक्रश्चकामिनी // 122 // निरंजनोमोहिनीयुकपर्दीतुनटीयुतः।।दीजिह्वःपार्वती युक्छेकुकर्णश्चज्वालिनी / / 123 // वृषभध्वजनंदेचसुरेशागणनायको।गजेंद्र कामरूपिण्यासूर्यकर्णस्त थोमया॥१२४॥त्रिलोचनस्तेजवत्यालंबोदरस्तुसत्यया।महानंदश्चविनेशीचतुर्मूर्तिःसुरूपिणी।।१२५॥ इति // 118 // ध्यानमाह / / गुणेति // गुणस्त्रिशूलम् // अंकुशवरौदक्षयोः // 119 / / स्वीयबीजपूर्वाणिया न्यक्षराणिअकारादीनितैर्युतांगः // अंविघ्नेशहीभ्यांनमइत्यादि / 120 // 21 // 22 // 23 / / 24 // 125 // 1 अस्यश्रीगणेशमातृकान्यासमंत्रस्यगणकऋषिःनिवृद्गायत्रीच्छंदःशक्तिविनायकोदेवतान्यासेवि०॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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