________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie // 19 // वामेगुरून्दक्षेगणेशम् // 76 // करयोरस्त्रंन्यस्योपर्युपरितालत्रयंकृत्वांगुष्ठतर्जनीभ्यांशब्दकुर्वन्सुदर्शन सटीक मंत्रेणदिग्बंधनंचरेत् // 77 // सुदर्शनमंत्रमाह ॥प्रणवइति // ॐनमःसुदर्शनायअस्त्रायफडिति // 78 // तत०२१ वायुपात्रंव्यजनंछत्रमादर्शचामरे // कृतांजलिमिदगुरून्गणपतिनमेत् // 76 // न्यस्यास्त्रंकर योस्तालवयंदिग्बंधनंचरेत् // अंगुष्ठयुक्ततर्जन्यासुदर्शनमर्नुजपन् // 77 // प्रगवोहृदयंडेन्तंसुदर्शन पदंपुनः // अस्त्रायचफडित्युक्तोमंत्रोद्वादशवर्णवान् // 78 // विधायवह्निप्राकारंभूताजेयोभवेत्सुधीः॥ भूतशुद्धितथाप्राणप्रतिष्ठांमातृकास्थितिम् // 79 // पंचधोक्तांप्रकुर्वीतततोन्यांमातृकांचरेत् // श्रीकं ठाद्या छंभुभक्तोवैष्णव केशवादिकान् // 80 // गणेशायांस्तुतत्सेवीशतिभाग्मातृका कलाः // ताःक्रमेणैवकथ्यतेमुन्यादिन्यातपूर्विकाः॥ 81 // मुनिःस्यादक्षिणामूर्तिर्गायत्रीछंदईरितम् // अर्धा द्रिजाहरोदेवोनियोगः सर्वसिद्धये // 82 // Salm 79 // पंचधामातृकास्थितिः॥ सृष्टिस्थितिसंहारसृष्टिस्थितिलक्षणपंचविधमातृकान्यासम् // उक्तंप्रथम // 19 तरंगे // अन्यान्श्रीकंठाद्यान् // 80 // तत्सेवीगणेशसेवी // 81 // 82 // 1 अस्यश्रीकंठमातृकामंत्रस्यदक्षिणामूर्तिऋषिःगायत्रीछंदःअर्द्धनारीश्वरोदेवताहलोबीजानिस्वराःशक्तयःसर्वसिद्धयेन्यासेवि०॥ For Private and Personal Use Only