________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तर्पणमंत्रमाह // मूलमंत्रान्ते कृष्णंतर्पयामिनमइतितर्पणे // कृष्णमभिषिचामीत्याभिषेके॥२०२॥ जपादशा Hशाद्धोमः तद्दशांशेनतर्पणं तद्दशांशेनाभिषेकः तदशांशेनविप्रभोजनमिति // पंचांगंपुरश्चरणमितिकनी यान्पक्षः // अभिषेकवर्जीमध्यमः॥ तर्पणाभिषेकवर्जरूयंगउत्तमःपक्षः // होमदशांशंद्विजभोजनमिति // विधिविसृज्यसकुशान्परिधीविन्यसेद्वसौ।एवंहोमंसमाप्याथतर्पयेदेवतांजले।२०२॥आवाह्यतदशांशे नतर्पणादभिषेचनम् // तर्पयामिनमश्चेतिद्वितीयांतेष्टपूर्वकम् // 3 // मूलांतेतुपदंदेयसिंचामीत्यभिषे चने // ततोनानाविधैरन्नस्तर्पयेद्विजसत्तमान् // 4 // इष्टरूपान्समाराध्यतेभ्योदयाच्चदक्षिणाम् ॥न्यूनंसं पूर्णतामेतिब्राह्मणाराधनान्नृणाम् // 5 // देवताश्चप्रसीदंतिसंपर्यतेमनोरथाः॥२०६॥ इतिश्रीमहीधर विरचितमंत्रमहोदधौभूतशुद्धयादिकथनंनामप्रथमस्तरंगः॥१॥ // 7 // // // // 7 // किंबहुना // बहुब्राह्मणभोजनेदेवताप्रसादोभवति // 203 // 204 // 205 // 206 // इतिश्रीमहीधर Salविरचितमंत्रमहोदधौनौकायांभूतशुद्धयादिकथनंनामप्रथमस्तरंगः॥१॥ १ब्रह्माणम्॥ For Private and Personal Use Only