________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुरस्रंकृत्वामध्येपंक्तिचतुष्टयंकार्यम्॥आद्यायांमायासप्तकमाद्वितीयायांक्रोहींकींगंदेवदत्तंवशयगमिति॥ Bal तृतीयायांक्रोंह्रींक्रोंह्रीं क्लीं ह्रीमिति॥चतुर्थ्यामायाचतुष्कम् // चतुरस्राद्वहिदक्षिणदिशंहित्वातिसृषुदिक्षुगं REबीजस्यदशकंदशकंतदुपपिचतुष्कोणम् // एतद्यंत्रंकृष्णमृत्कृतगणेशोदरेन्यस्यतंसंपूज्यदेवदेवेतिसंप्रार्थ्यह अनामासृग्गजमदरोचनालक्तकैलिखेत् // भूर्जेजातीयलेखन्याचतुरस्रंमनोहरम् // 58 // तत्राद्यपंक्तौ संलेख्यंमायावीजस्यसप्तकम्।।द्वितीयायांशृणिर्मायाकामौनामगणेत्पुटम्।।५९॥तृतीयायांसृणिपुटामा ययासंपुटःस्मरः // लेख्यपंक्तौचतुर्थ्यातुमायावीजचतुष्टयम् // 60 // चतुरस्राबहिर्दिादशवीजगणे शितुः // विलेख्यदक्षिणांहित्वाकुर्याद्भूयोपिभूपुरम् / / 61 // एतद्यत्रंगणपतेरुदरांतःप्रविन्यसेत् // विनिर्मितस्यसुक्षेत्रादात्तयाकृष्णयामृदा / / 62 // पंचोपचारैर्गणपंसंपूज्यामुमनुंपठेत् // देवदेवगणा ध्वक्षसुरासुरनमस्कृत // 63 // देवदत्तममायत्तंयावजीवकुरुप्रभो॥हस्तमात्रधरागर्तेतविन्यस्यगणा धिपम् // संपूरयेन्मृदागर्तमेवंवश्योभवेन्नरः॥६४॥ पद्मचतुर्दलंकृत्वासाध्याख्यानेत्रकर्णिकम्॥तारोन मइमान्वाल्लिखेद्दलचतुष्टये // 65 // स्तमात्रेगर्तेनिखायपूरयदितिागणपतिर्देवता।।५८/५९/६०।६११६२।६३।६४॥नृपवश्यकरंद्वादशमाहापद्ममिति। चतुर्दलेइयुतंनाम॥ॐनमइतिप्रतिदलम् // अजितेइतिदक्षिणोत्तरदलयोरधिकम् // अजितादेवता // 65 // For Private and Personal Use Only