________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20. सटीक मं०म० H // 40 // 41 // 42 // भूमिग्लौं // 43 // वसुसायकवर्णोष्टपंचाशदर्णः // प्रयोगोयथा // साधकःशनिवा सरेसंध्याकालेतडागंगत्वा // ॐनमोजलौकायैसर्वजनंवशंकुरु 2 हुमितिमंत्रणहरिद्राक्ताक्षतपुष्पैर्जलं // 159 // संपूज्यगृहंगत्वादेवींस्मरनिशिभूमौशयीत // प्रातस्तस्मात्सरसोजलौकाद्वयमादायच्छायाशुष्कंकृत्वास चूर्ण्यतचूर्णयुक्तनकृष्णकासिसूत्रेणवर्तिकृत्वाकुलालचक्रानीतमृनिर्मितेपात्रे तां निधायभ्रमतस्तैलयंत्रात्ति लतेलमादायतनिक्षिपेत् // वेश्यागृहादग्निमानीयकुचिलाइतिकान्यकुब्जभाषाप्रसिधतरोःकाष्ठैस्तंप्रज्वा निशारसेनरचितेमध्येलाजासमन्विते // कालरात्रिततोदीपेसमावाह्यप्रपूजयेत् // 40 // युक्तामावर णैःपश्चान्नवीनंखपरंन्यसेत् // दीपोत्थपात्रपतितमादद्यात्कज्जलंसुधीः॥४१॥ पश्चिमामिमुखोमंत्री कजलतत्तुमंत्रयेत् // वक्ष्यमाणेनमनुनाशतत्रितयसमितम् // 42 // तारोवाङ्मदनोमायारमाभूमि लोहसौः // नमःकाङ्गेश्वरिपदंसर्वान्मोहयमोहय // 43 // कृष्णतेकृष्णवर्णेचकृष्णांवरसमन्विते // | सर्वानाकर्षयद्वंद्वंशीघ्रंवशंकुरुद्वयम् // 44 // ल्य तेनतत्पात्रेदीपंकृत्वाहरिद्रारसकृतेत्रिकोणषट्कोणचतुष्कोणात्मकेयंत्रेमध्येलाजान्प्रक्षिप्यतदुपरिदी पपात्रंस्थापयित्वादीपेकालरात्रिमावासावरणामिष्वाखपरंदीपोपरिधृत्वांजनंपातयेत् // तदंजनमादाय शन पश्चिमाभिमुखः शतत्रयमनेनमंत्रेणमंत्रयेत् // मंत्रोयथा ॥ॐऐक्लींहीश्रींग्लौंब्लूइसौ नमः काङ्ग्रेश्वरिसर्वा न्मोहय 2 कृष्णेकृष्णवर्णेकृष्णांबरसमन्वितेसर्वानाकर्षय 2 शीघ्रंवशंकुरु 2 हुंऐंह्रींक्लीं श्रींइति // 44 // ||169 // For Private and Personal Use Only