________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक त० मं०म० पदकालेआअमृतादितिवरंपदम् // ध्यानमाह // हस्तेति // अष्टहस्तविनियोगमाह // अंकस्थं करयोःकुंभंदधतं तदूर्ध्वस्थकरयोः कुंभाभ्यांजलमुद्धृत्यकरद्वयनस्वशिरोभिषिंचंतकरयोर्मंगाक्षमालेचद| // 139 // Hधतमिति // मूर्धनिस्थितोयश्चंद्रस्ततःस्रवतामृतेनोक्किन्नातनुर्यस्य // उंदीक्लेदनेइत्यस्यनिष्ठायामुन्नेति स्वरूपम् ॥सगिरिजंभवानीयुतम्॥त्रीण्यंबकानिनेवाणियस्यतम् // 19 // मुद्राआह॥मुष्टीति // मुष्टिंदक्षिण हस्तेनविधायोर्ध्वसमुन्नयेत् // मुद्रामुष्टयभिधाख्यातासर्वविघ्नविनाशिनीति मुष्टिमुद्रालक्षणम् // सारंगो हस्तांभोजयुगस्थकुंभयुगलादुद्धृत्यतोयंशिरः सिंचंतकरयोर्युगेनदधतंस्वांकेसकुंभौकरौ // अक्षत्र मृगहस्तमंबुजगतंमूर्द्धस्थचंद्रस्रवत्पीयूषोन्नतनुंभजेसगिरिजमृत्युजयंत्र्यंबकम् // 19 // मुष्टिसारं गशक्त्याख्यालिंगपंचमुखाभिधाः // मुद्रा प्रदर्यप्रजपेल्लॉतस्यदशांशतः // 20 // मृगस्तन्मुद्रालक्षणम्॥यथा // दक्षस्यानामिकांगुष्ठमध्यमायाणियोजयेत् // शिष्टेदेउच्छ्रितेकुर्यान्मृगमुद्रेय मीरितेति // मुष्टीकरौविधायद्वौवामस्योपरिदक्षिणम् // कृत्वाशिरसियुंजीतशक्तिमुद्रेयमीरितेतिशक्ति मुद्रालक्षणम् // उच्छ्रितंदक्षिणांगुष्ठंवामांगुष्ठेनबंधयेत्॥वामांगुलीदक्षिणाभिरंगुलीभिश्चबंधयेत् // लिङ्गमुद्रे यमाख्याताशिवसांनिध्यकारिणीतिलिंगमुद्रा // मणिबंधकरौयुक्तावंगुल्यग्राणिमेलयेत् // मुद्रापंचमुखा ख्येयंदर्शिताशिवतोषिणीतिपंचमुखमुद्रालक्षणम् // 20 // // 139 // For Private and Personal Use Only