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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक // 118 // त०१३ मं०म० व्याघ्रादिभयनिवारणसर्वशत्रुच्छेदनममपरस्यचत्रिभुवनपुंस्त्रीनपुंसकात्मकंसर्वजीवजातंवशयरममाज्ञा कारकंसंपादयश्नानानामधेयान्सर्वानाज्ञःसपरिवारान्ममसेवकान्कुरु 2 सर्वशस्त्रास्त्रविषाणिविध्वंसयर महांहींहूहां 3 पाहिहसौंहस्ख्हसौंख्हस्हौंसर्वशत्रून्हन 2 परदलानिपरसैन्यानिक्षोभय श्ममसर्वकार्य जातंसाधय 2 सर्वदुष्टदुर्जनमुखानिकीलय 2 घे 3 हा 3 हुं 3 फट 3 स्वाहामालामंत्रोयमष्टाशीत्यधिक द्वादशाणेतिमान्वर्णानुपट्त्यक्त्वैकंतथादिमम् // पंचकूटात्मकोमंत्रोनिखिलाभीष्टसाधकः // 8 // मुनीरामोथगायत्रीछंदोदेवःकपीश्वरः // पंचवीजैःसमस्तेनषडंगंमुनिभिःस्मृतम् // 81 // रामदूतो लक्ष्मणांतेप्राणदातांजनीसुतः // सीताशोकविनाशोथलंकाप्रासादभंजनः // 82 // हनूमदाद्याः पंचैतेबीजाद्यासमन्विताः॥ पडंगमंत्राःसंदिष्टाध्यानपूजादिपूर्ववत् // 83 // चशतवर्णः॥५८८॥ मंत्रांतरमाह // द्वादशेति // द्वादशाक्षरस्यांतिमानषड्वर्णान् // हनुमतेनमइतिप्रथम मेकं // हौमितित्यक्त्वाशेष:पंचा!मंत्रः॥ हस्फेख्हस्रौंहस्ख्फ्रेंहस्रौमिति ॥८॥८॥षडंगमाह ॥रामदूत इति // हनुमदाद्याश्चतुर्थ्यताबीजपूर्वाःषडंगमंत्राः॥ यथा // ह्स्फ्रेंहनुमतेहृत् // स्पॅरामभक्तायशिरः // हस्त्रौंलक्ष्मणप्राणदात्रेशिखाइत्यादिपूर्ववद्वादशवर्णवत् // 82 // 83 // 1 अस्यहनुमत्पंचकूटमंत्रस्यरामचंद्रऋषिःगायत्रीछंदःकपीश्वरोदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः // // 118 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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