________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ततोमूलविद्यापठित्वाध्यात्वाविंदौश्रीमत्रिपुरसुंदरीपादुकांपूजयामीतियजेत् // 133 // एवंनवमावरण माराध्यसर्वकामप्रदेचक्रेसर्वाभीष्टदायिनीपरापररहस्ययोगिनीश्रीमत्रिपुरसुंदरीपूजितास्त्वित्युक्त्वायोनि बिन्दौसंपूजयेत्पश्चात्श्रीमत्रिपुरसुंदरीम् // मूलविद्यांसमुच्चार्याध्यात्वापूर्वोक्तवर्मना // 33 // सर्वानं दमयेचक्रेसर्वाभीष्टविधायिनीम् // परापररहस्याख्यायोगिनीपूजितास्तुमे // 34 // योनिमुद्रां प्रदर्याथतर्पणंत्रिःसमाचरेत् // धूपंदीपंचनैवेद्यमन्नैर्नानाविधैर्दिशेत् // 35 // वह्निसंपूज्यपूर्वोक्तवि धिनातत्रसुंदरीम् // आवाह्यजुहुयाद्र्व्यपंचविंशतिसंख्यया // 36 // ईशानाग्नेयनैर्ऋत्यवायुको णेषुचक्रमात् // श्रीचक्रस्यवलिंदद्याद्धृतशेषेणसंयुतः // 37 // बटुकस्यचयोगिन्या क्षेत्रेशग णनाथयोः // निजैर्मत्रैःस्वमुद्राभिःपूर्वसंकीर्तितेमया // 38 // नती प्रदक्षिणा कृत्वामूलविद्या | ततोयजेत् // एवं श्रीसुंदरींनित्यपूजयविजितेंद्रियः // 39 // मुद्रांप्रदर्यत्रिस्तर्पयित्वाधूपदीपादीनिदत्त्वाअग्नावावाहुत्वोद्वासयेत् // 134 // 135 // 136 // // 137 // ततईशानादिकोणेषुहुतशेषेणबटुकयोगिनीक्षेत्रपालगणेशभ्यःपूर्वोक्तैःस्वस्वमंत्रैस्तत्तन्मुद्रादर्श नपूर्वकंबलिंदद्यात् // 138 // नतीनमस्कारान् // 139 // PUTEJUNGJAUSSDJ.SSSSSSSS For Private and Personal Use Only