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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IMinik मं०म० // 109 // अग्नीति // अग्निदक्षिणवामकोणेषुकूटवयंपूर्वे // रुद्रविष्णुब्रह्मणांशक्तयश्चतिनकामेश्वरीवज्रेश्वरीभगमा सटीक लिनीसंज्ञाःपूज्याः॥ 127 // तासांध्यानान्याहश्लोकत्रयेण // कामेति // वामयोःपुस्तकाभये // वरा क्षमालेदक्षयोगा उद्यन्मार्तडोभानुस्तेनसमानाप्रभायस्याः॥ वरपुष्पबाणौदक्षयोगाइक्षुधनुरभयोवामयोः। त०१२ भगेति // हाटकंकनकंतत्तुल्यकांतिः॥ ज्ञानमुद्रावरौदक्षयोः॥ पाशांकुशौवामयोः॥ 128 // 129 // 130 // अग्न्यादिकोणत्रितयेपूज्या कूटबयादिकाः।कामेश्वरीचवज्रेशीतृतीयाभगमालिनी // 27 // कामेश्वरी रुद्रशक्ति शरच्चंद्रशतप्रभा // स्मर्त्तव्यादधतीहस्तैःपुस्तकाऽभीवरस्रजः॥२८॥ वज्रेश्वरीविष्णुशक्ति रुद्यन्मार्तडसप्रभा॥ इक्षुचापवराभीतिपुष्पवाणलसत्करा // 29 // भगमालाब्रह्मशक्तिस्तप्तहाटक सप्रभा // ज्ञानमुद्रांवरंपाशमंकुशंदधतीकरैः॥१३०॥ एवंत्रिकोणसंपूज्ययच्छेत्पुष्पाञ्जलिंततः॥ बीज मुद्रांप्रदाथप्रार्थयेत्सुंदरीमिदम् // 31 // सर्वसिद्धिप्रदेचक्रेयोगिन्यापूजितामया // दिशंत्वतिरह स्याख्यामंगलमेनिरंतरम् // 32 // प्रयोगोयथा // कएईलह्रींकामरूपपीठेकामेश्वरीरुद्रशक्तिश्रीपा०॥ हसकलहींपूर्णगिरिपीठेवजेश्वरीविष्णुश Ba क्तिश्री० // सकलह्रींजालंधरीपीठेभगमालिनीब्रह्मशक्तिश्रीपा० // एवमष्टमावरणमिष्ट्वासर्वसिद्धिप्रदेचक्रे BE // 109 // इमाअतिरहस्ययोगिन्यापूजिताःसंत्वित्युक्त्वामूलेनपुष्पांजलिंदत्त्वाबीजमुद्रादर्शयेत् // 131 // 132 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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