________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं०म० सटीक त०११ सृष्टिन्यासमाह // ब्रह्मरंध्रइति॥ब्रह्मरंध्रादिप्वेकैकंवर्णन्यसेत॥आद्यंब्रह्मरंधे॥द्वितीयंललाटे // तृतीयंदृशोः चतुर्थकर्णयोः // पंचमनसोः॥ षष्ठंगंडयोः॥ सप्तमंदंतेषु // अष्टममोष्ठयोः॥ नवमंजिह्वायां // दशमंमुखम ध्ये // एकादशंपृष्ठे // 37 // द्वादशंसर्वांगे ॥त्रयोदशंहदि।चतुर्दशस्तनयोगापंचदशंकुक्षौ॥षोडशंलिंगे॥३८॥ ब्रह्मरंध्रेललाटेचनेत्रयोःकर्णयोर्नसोः॥ गंडदंतोष्ठजिह्वासुमुखकूपेचपृष्ठतः॥ 37 // सर्वाङ्गेहृदयेन्य स्येतस्तनकुक्षिध्वजेषुच // एकैकार्णमथोमूनिसर्वेणव्यापकंचरेत् // 38 // सृष्टिन्यासंविधायैवंस्थिति न्यासमथाचरेत् // करांगुष्टायंगुलीषुब्रह्मरंध्रेमुखेहृदि // 39 // नाभ्यादिपादपर्यंतंनाभ्यंतकंठदेश तः॥ ब्रह्मरंध्राच्चकंठांतंपादांगुलिषुपंचवा ॥४०॥अथपंचविधंन्यासंवक्ष्येसर्वेष्टसिद्धिदम् // मंत्रपंचा वृत्तिरूपयेनतद्रूपतांब्रजेत् // 41 // मूर्ध्निवक्रेडशो श्रुत्योर्नसोगंडोष्ठयोरपि // वक्रमध्येदंतपंत्योद नेविन्यसेत्क्रमात् // 42 // स्थितिन्यासमाह॥करेति // पंचकरांगुलीषु / / षष्ठंब्रह्मरंध्रे॥सप्तमंमुखे // अष्टमंहदि // 39 // नवमंनाभ्यादि पादांत।दशमंकंठादिनाभ्यंतं // एकादशंब्रह्मरंध्रात्कंठांतं // पंचपादांगुलीषु॥४०॥४१॥पंचावृत्तिन्यासमाह। मीति // दृशोद्वै // श्रुत्यो· // नसोद्वै // गंडयोर्द्व // ओष्ठयोद्धे // दंतयो॥शेषेष्वेकैकम् // 42 // INUTSIDIODSEUSINESS // 9 // For Private and Personal Use Only