________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक त०१० मं०म०/वृषाआटरूषकः // 32 // 33 // 34 // स्वप्नवाराहीमाह // वेदादीति // वेदादिॐ॥ मायाहीं // हृत्नमः॥ जलवः॥ पावकोरः॥ तौदीर्घोवारा // सदृक्खंहाहि // मेधाघः॥ सद्ययुकूओयुताघो // रेस्वनस्वरूपं // स // 8 // यद्भूमौभवितादिव्यंतत्रयंत्रसमालिखेत् // मार्जितंतदृषापत्रैदिव्यस्तंभनकृद्भवेत् // 32 // इंद्रवारुणि कामूलंसप्तशोमनुमंत्रितम् // क्षिप्तंजलेदिव्यकृतांजलस्तंभनकारकम् // 33 // किंभूरिणासाधकेनमंत्रः सम्यगुपासितः॥शत्रूणांगतिबुद्धयादेस्तंभनोनात्रसंशयः॥३४॥उच्यतेस्वप्नवाराहीजनतावशकारिणी॥ वेदादिवीजमायाचहृद्दी!जलपावकौ॥३५॥खंसहक्सद्ययुग्मेधारेस्वप्नंसर्गिणीचठौ।कृशानुवल्लभांतोयं मंत्रःपंचदशाक्षरः॥३६॥ ईश्वरोजगतीस्वप्नवाराहीमुनिपूर्वकाः // तारोवीजचहल्लेखाशक्तिष्ठौकीलकं मतम् // 37 // द्विपंचनेत्रहस्तांक्षियुग्माणैरंगकंमनोः॥पादलिंगकटीकंठगंडाक्षिश्रुतिनासिके // 38 // | |गिणौठौ / ठाठः // कृशानुवल्लभास्वाहा // 35 // 36 // 37 // वर्णन्यासमाह // पादेति // लिङ्गेकंठकमूर्ध्नि एकैकः॥ अन्यत्रद्वौ 2 // 38 // ॐट्ठींनमोवाराहिघोरेस्वप्नंठाठःस्वाहेतिपंचदशाणः // 2 अस्यस्वप्नवाराहीमंत्रस्यईश्वरऋषिःजगतीछंदःस्वप्नवाराहीदेवताॐबीजंहीशक्तिः ठाठ-कीलकममाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपेविनियोगः // NA80 // For Private and Personal Use Only