________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक मं०म० // 7 // त०९ प्रत्यंगिरामालामंत्रमाह // तारइति // तार प्रणवः॥मायाहीं॥ सजलं। इयुतोवः वि // 100 // 101 // // 102 // 103 // 104 // शरसूर्याक्षरः॥ पश्चविंशित्यधिकशतार्णः // ॐह्रींनम कृष्णवाससेशतसहस्रहि अथप्रत्यंगिरामालामंत्रसिद्धःप्रकीर्त्यते // तारोमायानमकृष्णंवाससेशतवर्णकाः // 100 // सहस्त्र हिंसिनिपदंसहस्रवदनेपुनः॥ महाबलेपदंपश्चादुच्चरेदपराजिते॥१॥प्रत्यंगिरेपरसैन्यपरकर्मसदृग्गज लम् // ध्वंसिनीपरमंत्रोत्सादिनिसर्वपदंततः // 2 // भूतांतेदमनिप्रांतेसर्वदेवानसमुच्चरेत् // बंधयुग्मं सर्वविद्याछिधियुरुक्षोभयद्वयम् // 3 // परयंत्राणिसंकीर्त्यस्फोटयद्वितयंपठेत् // सर्वातेशृंखलाउ तात्रोटयद्वितयंज्वलत्॥ 4 // ज्वालाजिह्वेकरालांतेवदनेप्रत्यमुच्चरेत् // गिरेमायानमोंतोयंशरसूर्या क्षरोमनुः // 5 // ऋष्यादिकंपूर्वमुक्तंमाययास्यात्पडंगकम् // ध्यायेत्प्रत्यंगिरांदेवींसर्वशत्रु विनाशिनीम् // 6 // सिनिसहस्रवदनेमहाबलेअपराजितेप्रत्यंगिरेपरसैन्यपरकर्मविध्वंसिनिपरमन्त्रोत्सादिनिसर्वभूतदमनिसर्व देवान्बन्धबन्धसर्वविद्याछिंधिरक्षोभय २परयन्त्राणिस्फोटयरसर्वशखलास्त्रोटयत्रोटयज्वलज्ज्वालाजिहे करालवदनेप्रत्यंगिरेहींनमइति // 105 // 106 // // 76 For Private and Personal Use Only