________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बलिमन्त्रमाह // योमइति // ॐयोमेपूर्वगतःपाप्मापापकेनेहकर्मणाइन्द्रस्तंदेवराजोभञ्जयतुअंजयतुमो हयतुनाशयतुमारयतुकलिन्तस्मैप्रयच्छतुकृतंममाशिवंममशान्ति स्वस्त्ययनंचास्तु // इतिबलिमन्त्रः // अनेनप्राच्यांबलिंदद्यात् // 94 // 95 // 96 // 97 // अस्मिन्मन्त्रे // पूर्वेत्यस्यस्थानेअग्न्यादिपदम् // इन्द्र जुहुयाचशतंदिक्षुदशमत्रैहरेद्धलिम्॥योमेपूर्वगतःपाप्मापापकेनेहकर्मणा।९४।इंद्रस्तदेवउच्चार्यराजांतेभं जयत्विति ॥अंजयत्वितिचोचार्यमोहयत्वितिचोच्चरेत्॥९॥नाशयतुपदंपश्चान्मारयत्वित्यतोबलिम्॥ तस्मैप्रयच्छतुकृतंममांतेचशिवमम // 96 // शांतिःस्वस्त्ययनंचास्तुबलिमंत्रउदाहृतः // प्रणवायो षष्टयर्णस्तेनैववितरेदलिम् / / 97 // अस्मिन्मंत्रपूर्वपदस्थानेग्न्यादिपदंवदेव // अग्निरित्यादिचपठे दिन्द्रइत्यादिकेस्थले // 98 // एवंतुदशमंत्राःस्युस्तैस्तत्तदिग्वलिहरेत् // इत्थंकृतेशत्रुकृताकृत्या क्षिप्रविनश्यति // 99 // इत्यस्यस्थानेअग्निरित्यादि // देवराजइत्यत्रतेजोराजइत्यादिऊहानकृत्वादशमन्त्राविधेयास्तैस्तस्यां तस्यादिशिबलिंदद्यात् // यथा // योमेग्निगतःपाप्मापापकेनेहकर्मणाअग्निस्तंतेजोराजोभञ्जयत्वित्या दियोमेदक्षिणगतम्यमस्तंप्रेतराजइत्यादि // 98 // 99 // For Private and Personal Use Only