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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IRDP m URI सटीक मं०म० ध्यानमाह॥पाशेति॥अंकुशाक्षसूत्रेदक्षयोः॥९८॥हयारिकरवीर सायकैःपंचबाणदेवताभिः॥९९॥ दिगधी शास्वैरिति / दिशामीशैस्तदस्त्रैश्चेत्यर्थः।।१००॥बालामुक्त्वालघुश्यामामाह॥वाग्बीजमिति / वाग्बीजऐं। // 66 // पाशांकुशौपुस्तकमक्षसूत्रकरैर्दधानासकलामराया॑ // रक्तात्रिनेत्राशशिशेखरेयंध्येयाखिलद्धबैंत्रिपुरा त्रबाला।९८॥जपेल्लशंदशांशेनहोम-पुष्पैर्हयारिजैः // पूजापूर्वोदितपीठेगैरत्याद्यैश्चसायकैः // 99 // मातृभिर्दिगधीशास्त्रैःप्रयोगापूर्ववन्मताः॥ लघुश्यामामथोवक्ष्येस्मरणादिष्टदायिनीम् ।।१००॥वाग्वी जंहृदयंकर्णएकनेत्रःसनेत्रकावृषोमुकुंदमारूढोकूर्मोदीर्धेदुसंयुतः॥३॥ नंदीदीपोलिमातंगिसर्वातेस्या द्वशंकरि॥वैश्वानरप्रियांतोऽयमंत्रोविंशतिवर्णवान्॥२॥मदनोस्यमुनिःप्रोक्तोगायत्रीनिन्दादिका॥छंदो देवीलघुश्यामावीजवागवह्निवल्लभाशक्तिरुक्ताखिलाभीष्टसाधनेविनियोजनम् // 3 // हृदयंनमः // कर्णऊ॥सनेत्रएकत्र इयुतश्छछि / मुकुंदमारूढोवृषः॥ टस्थितःपाष्ठ // दीर्घन्दुसंयुतःकूर्मःचः॥ चां // 1 // दी?नंदी॥ डालिमातंगिसर्ववशंकरिस्वरूपम्॥वैश्वानरप्रियास्वाहा॥२॥ऐंबीजंस्वाहाशक्तिः॥३॥ BAL 1 ऐनमउच्छिष्टचांडालिमातंगिसर्ववशंकरिस्वाहतिविंशत्यर्णः। 2 अस्यलघुश्यामामंत्रस्यमदनऋषिःनिवृद्गायत्रीछंदादेवीलघुश्या AAIमादेवताएँबीजंस्वाहाशक्तिःममाखिलाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपेविनियोगः // // 6 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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