________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक | त०८ मं०म० an८॥९॥वागिति॥ऐं रलौनमोगुह्ये // अंत्यादिकां // सौःप्रीत्यैनमोहदि // क्लींमनोभवायैनमोधूमध्ये // 10 // पुनर्वाक् // अंत्यकामाद्याअमृतेशीयोगेशीविश्वयोनीःएप्वेवगुह्यहृद्भूमध्येषुन्यसेत् // ऐंअमृतेश्यै // 18 // नेत्रयो सिकायांचस्कंधयोरुदरेतथा // न्यसेत्कूपरयो भौजानुनोर्लिंगमस्तके // 8 // पादयोरपिगुह्ये चपार्श्वयोर्हदयपुनः॥स्तनयो कंठदेशेचवामांगादिप्रविन्यसेत्॥९॥वाग्भवाद्यारतिंगुह्येप्रीतिमत्यादिका हृदि।कामवीजादिकांन्यस्येद्भूमध्येतुमनोभवा // 10 // पुनर्वागत्यकामाद्यास्तिस्रएष्वेवविन्यसेत् // अमृतेशीचयोगेशीविश्वयोनितृतीयकाम् // 11 // मूभिवक्रेहदिन्यस्येद्द्व चरणयोरपि // कामेशी पंचवीजाद्यान्स्मरान्मनोभवादिकान् // 12 // नमइत्यादि // 11 // मूर्तीति // कामेशीपंचबीजानि ह्रींक्तींऐब्लूस्त्रीमित्युक्तानि // तदाद्यान्मनोभवा दिकान् // मनोभवमकरध्वजकंदर्पमन्मथकामदेवाख्यान्स्मराशिरोमुखद्गुह्मपत्सुन्यसेत् // ह्रींमनो भवायनमइत्यादि॥१२॥ // 5 // १ह्रींमनोभवायनमःशिरसि / क्लीमकरध्वजायनमःमुखे / ऐंकंदर्पायनमाहृदि / ब्लूमन्मथायनमःगुह्ये // स्त्रींकामदेवायनमाचरणयोः॥ For Private and Personal Use Only