________________ Shiv a Aradhana Kendra mame.kabatm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir म. म. // 20 // खं० 1.1 तर०१ कां गायत्री चायुतं जपेत्॥विना जत्वा तु गायत्रीं तत्सर्वं निष्फलं भवेत् // 556 // (शाक्तानंदतरंगिण्याम् ) हविष्येणैव भोक्तव्यं कत्वा देहविशोधनम्॥प्रातः स्नात्वाथ सावित्र्या जपेत्संचसहस्रकम् // 557 // त्रिसहस्रं सहस्रस वा जपेदष्टोत्तरं शुचिः॥ ज्ञाताज्ञातस्य पापस्य क्षयार्थं प्रथमं ततः / / 558 // वाचिकसंकल्पापेक्षया मानसिकसंकल्पो मुख्यः / / (बीजाणवतंत्रे षोडशपटले ) संकल्पो मान / सो देवि चतुर्वर्गफलप्रदः।अत एव महेशानि संकल्पो मानसः स्मृतः॥५५९॥ स्थूलो हि परमेशानि संकल्पो व्यर्थ उच्यते॥ संकल्पेन विना देवि यत्किचित्कुरुते सुधीः // व्यर्थमेव हि देवेशि तत्सर्व मानसेन च // 560 // ( देवतापञ्चाङ्गनिर्णयः पुरश्चरणचन्द्रिकायाम् ) पटलं पद्धतिवर्म तथा नामसहस्रकम्॥स्तोत्राणि चेति पंचांग देवताराधने स्मृतम्॥५६॥ कवचं देवतागात्रं पटलं देवताशिरः / / पद्धति लदेवहस्तौ तु मुखं साहस्रकं स्मृतम् // 562 ॥(पंचांगोपासनानिर्णयः देवीरहस्यतंत्रे ) जला मंत्री मंत्रराजं हुत्वा देवे दशांशतः॥ तर्प येत्तदशांशेन मार्जयेत्तदशांशतः // 563 // भोजयेतद्दशांशेन मंत्रासद्धिर्भवेद्धवम् ॥जीवहीनो यथा देहो सर्वकर्मसु न क्षमः // पुरश्चरण / / हीनोयं तथा मंत्रः प्रकीर्तितः / / 564 // ( ग्रहणस्पर्शकालनिश्चयकरणम् ) चक्षुषा दर्शनं राहोर्यत्तद्ब्रहणमुच्यते // तत्र कर्माणि कुर्वीत, गणनामात्रतो न हि // 565 // (अथ पुरश्चरणविधिः श्रीवीजाणवतंत्रे रेडशपटले देवी प्रति शिववाक्यम् ) एकदा परमेशानि / कामाख्यायां महेश्वरि॥ दृष्ट्वोपराग यत्कर्म तच्छृणुष्व वरानने // 566 // कुतः स्नानं कुतः संध्या प्रणायामः कुतः प्रिये॥ भूतशुद्धिः कुतो भद्रे ) कुतः पूजा वरानने // 567 // कालातीतभयादेवि सर्व संत्यज्य कामिनि।।संकल्पं मानसं कृत्वा जपं कृत्वा वरानने // 568 // पंचां गविधिना देवि सिद्धो भवति नान्यथा॥मंत्रविद्या महेशानि कवचं स्तव एव च // 569 // ध्यानं वा परमेशानि न्यासो वा कमलानने॥ // 20 // For Private And Personal Use Only