________________ Shri Maharjan Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir पू.खं.. तरं. मं० मा ॐ सुमित्रानंदनाय मध्यमाभ्यां नमः॥ 3 // ॐ रामानुजाय अनामिकाभ्यां नमः // 4 // ॐ रामदासाय कनिष्ठिकाश्यां नमः॥५॥ // 31 // ॐ रघुवंशजाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः // 6 // इति करन्यासः॥ ॐ लक्ष्मणाय हृदयाय नमः॥१॥ ॐ शेषाय शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ समित्रानन्दनाय शिखायै वषट् // 3 // ॐ रामानुजाय कवचाय हुम् // 4 // ॐ रामदासाय नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // रघुवंशजाय अस्वाय फट् // 6 // ॐ सौमित्रये इति दिग्बंधः // 7 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // अथ ध्यानम् // रामपृष्ठस्थितं रम्यं रत्नकुंडलधा. कारिणम् // नीलोत्पलदलश्यामं रत्नकंकणमंडितम् // 1 // रामस्य मस्तके दिव्यं वित्रतं छत्रमुत्तमम् // वरपीतांबरधरं सुकुटेनातिशोभि / कतम् // 2 // तूणीरं कार्मुकं चापि वित्रतं च स्मिताननम् // रत्नमालाधरं दिव्यं पुष्पमालाविराजितम् // 3 // एवं ध्यात्वा लक्ष्मणं| च राघवन्यस्तलोचनम् // कवचं जपनीयं हि ततो भक्त्यात्र मानवैः // 4 // लक्ष्मणः पातु मे पूर्वे दक्षिणे राघवानुजः // प्रतीच्यां / पातु सौमित्रिः पातूदीच्या रघूत्तमः॥५॥ अधः पातु महावीरश्चोर्ध्व पातु नृपात्मजः // मध्ये पातु रामदासः सर्वतः सत्यपालकः / // 6 // स्मिताननः शिरः पातु भालं पार्मिलाधवः // वोर्मध्ये धनुर्धारी सुमित्रानंदनोऽक्षिणी // 7 // कपोले राममंत्री च सर्वदा, पातु वै मम // कर्णमूले सदा पातु कबंधभुजखण्डनः॥८॥ नासायं मे सदा पातु सुमित्रानंदवर्धनः // रामन्यस्तेक्षणः पातु सदा मेत्र / मुखं भुवि // 9 // सीतावाक्यकरः पातु मम वाणी सदाऽत्र हि // सौम्यरूपः पातु जिह्वामनंतः पातु मे द्विजान an 10 // चिबुकं पातु रक्षोन्नः कंठं पात्वसुरार्दनः // स्कंधौ पातु जितारातिर्भुजौ पंकजलोचनः // 11 // करौ कंकणधारी च नखान् रक्तनखोऽवतु // कुक्षिं पातु विनिद्रो मे वक्षः पातु जितेन्द्रियः // 12 // पार्थे / For Private And Personal Use Only