________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 11307 // विशेषाच्छृणु सुंदरि // 5 // उद्यदादित्यसंकाशमुदारभुजविक्रमम् // कंदर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदम् // 6 // श्रीरामहृदया नन्दं भक्तकल्पमहीरुहम् // अभयं वरदं दोर्यो कलये मारुतात्मजम् // 7 // हनूमानंजनीसुनुर्वायुपुत्रो महाबलः // रामेष्टः फाल्गुन सखः पिंगाक्षोऽमितविक्रमः // 8 // उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः // लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा // 9 // एवं द्वादश नामानि कपींद्रस्य महात्मनः // स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत् // 10 // तस्य सर्व भयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्॥ राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन // 11 // उल्लंघ्य सिंधोः सलिलं सलीलं यः शोकवह्नि जनकात्मजायाः॥ आदाय तेनैव ददाह लंकां नमामि तं प्रांजलिरांजनेयम् // 12 // "ॐ नमो हनुमते सर्वसर्वग्रहान भूतभविष्यद्वर्तमानान् समीपस्थान सर्वकालदुष्टबुद्धीनुच्चाटयो | चाटय परबलान क्षोभयक्षोभय मम सर्वकार्याणि साधयसाध्य ॐ ह्रां ह्रीं हूं फट् घेघेघे ॐ शिवसिद्धिं ॐ ह्रां ॐ ह्रीं ॐ हूं ॐ हैं ॐ ह्रौं ॐ ह्रः स्वाहा परकत्ययंत्रमंत्रपराहकारभूतप्रेतपिशाचदृष्टिसर्वविघ्नदुर्जनचेष्टाकुविद्यासर्वोयभयानि निवारय २बंध 2 लुंठ 2 विलुंच 20 किलि 3 सर्वकुयंत्राणि दुष्टवाचं ॐ फट् स्वाहा” ॐ अस्य श्रीहनुमत्कवचस्तोत्रमंत्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः / श्रीहनुमान् परमात्मा देवता / अनुष्टुप्छंदः / मारुतात्मज इति बीजम् / अंजनीसूनुरिति शक्तिः। लक्ष्मणप्राणदातेति कीलकम् / रामदूतायेत्यस्खम् / हनुमान देवता इति कवचम् / पिंगाक्षोऽमितविक्रम इति मंत्रः / श्रीरामचन्द्रप्रेरणया रामचन्द्रप्रीत्यर्थ मम सकलकामनासिद्धयर्थ जो विनियोगः // ॐ ह्रीं अंजनीसुताय अंगुष्ठाभ्यां नमः॥१॥ ॐ ह्रीं रुद्रमूर्तये तर्जनीभ्यां नमः // 2 // ॐ हूं रामदूताय मध्यमाभ्यां नमः॥ 3 // ॐ हैं वायुपुत्राय अनामिकाभ्यां नमः // 4 // ॐ ह्रौं अग्निगर्भाय कनिष्ठिकाायां नमः // 5 // ॐ ह्रः ब्रह्मास्त्रनिवारणाय करतलकर थ। // 307 // For Private And Personal Use Only