________________ Shri Maa Jain Aradhana Kendra mmm.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir मं.. 1302 // एवं न्यास क्रत्वा सावधानमना देवं ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // "पाथःसंयुतमेघसन्निभतनुः प्रद्योतनस्यात्वजो नृणां पुण्यशुभावहः पू. खं. स्ववपुषा पापीयसा दुःखरुत् // श्रीमदक्षिणदिक्पतिमहिषगो भूषाभरालंकतो ध्येयः संयमिनीपतिः पितृगणस्वामी यमो दंडभृत्॥१॥"मितं. ति ध्यायेत् // सिद्धमंत्रत्वादृष्यादिपूजाभावः // "आयस्तोयं सदा मंत्रः सकलापविनाशनः // नरकमाप्तिरोद्धा स्याद्रिपुभीतिनिवर्तकः ।तरं० 11 // 2 // " इति धर्मराजमंत्रप्रयोगः॥ अथ चित्रगुप्तमंत्रप्रयोगः॥ ( मंत्रमहोदधौ ) मंत्रो यथा--"ॐ नमो विचित्राय धर्मलेखकाय यम वाहिकाधिकारिणे म्ल्यू जन्मसंपत्पलयं कथयकथय स्वाहा" इत्यष्ट त्रिंशदक्षरो मंत्रः // अस्य विधानम् // ॐ नमो विचित्राय अंगु॥ पठाभ्यां नमः॥१॥ धर्मलेखकाय तर्जनीभ्यां नमः // 2 // यमवाहिकाधिकारिणे मध्यमाभ्यां नमः // 3 // म्ल्व्यूँ जन्मसंप्रत्प्रलयं अनामिकाभ्यां नमः // 4 // कथयकथय कनिष्ठिकाभ्यां नमः॥ 5 // स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः // 6 // इति करन्यासः॥ MIॐ नमो विचित्राय हृदयाय नमः // 1 // धर्मलेखकाय शिरसे स्वाहा // 2 // यमवाहिकाधिकारिणे शिखायै वषट् // 3 // म्ल्यूँ जन्मसंपत्पलयं कवचाय हुम् // 4 // कथयकथय नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // स्वाहा अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंग न्यासः॥ एवं न्यासं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // “किरीटोज्ज्वलं वस्त्रभूषाभिरामं विचित्रासनासीनर्मिदुप्रभास्यम् // नृणां पापपुण्यानि पत्रे लिखतं भजे चित्रगुप्तं सखायं यमस्य // 1 // " इति ध्यात्वा मंत्र जपेत् // तथा च / “मंत्रोयं चित्रगुप्तस्य सर्वदुःखो / घनाशनः // सिद्धोमनुरयं पुसा जपतां चित्रगुप्तकः // प्रसन्नो गणयेत्पुण्यं नैव पापं कदाचन // 1 // " इति चित्रगुप्तमंत्रप्रयोगः // अथ C an घंटाकर्णमंत्रप्रयोगः // (प्राकृतथे)मंत्रो यथा-"ॐ घंटाकर्णोमहावीरो देवदत्त सर्वोपद्रवनाशनं कुरुकुरु स्वाहा” इत्येकोनत्रिंशदक्षरो मंत्रः॥अस्य विधानम्।।स्वासने पूर्वाभिमुखः स्थित्वा गंधाक्षतपुष्पधूपदीपकपूरेण संपूज्य पंचत्रिशच्छतं प्रत्यहं जपेत॥जपति पश्चिमाभिमुखो For Private And Personal Use Only