________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir स्वर्णनाभसमन्वितः // केतकीद्रुमपत्राभ इन्द्रविष्णुप्रपूजितः // 8 // ज्ञेयो बुधः पंडितश्च रौहिणेयश्च सोमजः // कुमारो राजपुत्रश्च / शैशेवः शशिनन्दनः // 9 // गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा // सौम्यः सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलपदः // 10 // एतानि बुध। नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः॥ बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते // 11 // इति बुधस्तोत्रं समाप्तम् // अथ बृहस्पतिमंत्र प्रयोगः // (मंत्रमहोदधौ) मंत्रो यथा-"ॐ बृं बृहस्पतये नमः / " इत्यष्टाक्षरो मंत्रः // अस्य विधानम् // अस्य बृहस्पतिमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः / अनुष्टुप्छन्दः / सुराचार्यों देवता / बृं बीजम् / नमः शक्तिः। ममाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥ ॐ ब्रह्मऋषये नमः। शिरसि // 1 // अनुष्टुप्छन्दसे नमः / मुखे // 2 // मुराचार्यदेवतायै नमः / हृदि // 3 // बृं बीजाय नमः / गुह्ये // 4 // नमः | शक्तये नमः / पादयोः॥ 5 // विनियोयाय नमः। सर्वांगे // 6 // इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ ब्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः // 3 // ॐ बी तर्जनीयां नमः॥२॥ ॐ बूं मध्यमाभ्यां नमः // 3 // ॐ . अनामिकाभ्यां नमः॥४॥ ॐ बौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः॥५॥ ॐ ब्रः करतलकरपृष्ठात्यां नमः // 6 // इति करन्यासः // ॐ बां हृदयाय नमः // 1 // ॐ बी शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ ब्रू शिखायै वषट् // 3 // ॐ 3 कवचाय हुम् // 4 // ॐ बौं नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // ॐ बः अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादि षडंगन्यासः // इति न्यास कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // "रत्नाष्टापदबस्वराशिममलं दक्षाकिरतं करादासीनं विपणौ करं निदधतं रत्नादिराशौ परम् // पीतालेपनपुष्पवस्त्रमखिलालंकारसंभूषितं विद्यासागरपारगं सुरगुरुं वंदे मुवर्णप्रभम् // 1 // " इति / ध्यात्वा सर्वतोभद्रमंडले धर्माधर्मादिपीठांतं पीठदेवताः संस्थापयेत् // अत्र पीठशक्तयो न संति // ततः स्वर्णादिनिर्मित For Private And Personal Use Only