________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir // 7 // ॐ ऊर्द्धकेशाय नमः / ऊर्द्धकेशश्रीपा० // 8 // इत्यष्टौ पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् // ततः भुपुरे पूर्वादिक्रमेण इन्द्रा पुख // 28 // दीन दशदिक्पालान वजाद्यायुधानि च संपूज्य बलिं च दद्यात् // ॐ शं क्षेत्रपालाय नमः' इति मंत्रण माषाक्तबलिं दत्त्वार्धरात्रे मि० तं. पुनर्बलिं दद्यात्॥अस्य पुरश्चरणं लक्षजपः।तत्तदशांशन होमतर्पणमार्जनब्राह्मभोजनं कुर्यात्॥एवं कृते क्षेत्रपालः प्रसन्नो भवति। तथा च / "लक्षमेकं जपेन्मत्रं जुहुयात्तदशांशतः॥चरुणा वृतसिक्तेन ततः क्षेत्रे समर्चयेत॥१॥बलिनानेन संतुष्ठः क्षेत्रपालः प्रयच्छति॥ कांतिमेधाब लारोग्यतेजःपुष्टियशःश्रियः" इति क्षेत्रपालनवाक्षरमंत्रप्रयोगः॥१॥अथ वरुणमंत्रप्रयोगः।। मंत्रो यथा-ॐ ध्रुवासुत्वासक्षितिषु क्षियंतोव्य स्मत्याशु वरुणो मुमोच॥अबोवन्वाना अदितेरुपस्थायूयंपातस्वस्तिभिःसदानःस्वैः॥इति त्रिचत्वारिंशदक्षरो वरुणमंत्रः॥अस्यविधानम् // अस्य वरुणमंत्रस्य वशिष्ठ ऋषिः। त्रिष्टुप्छंदः।वरुणो देवता। सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः।।ॐ वशिष्ठऋषये नमः शिरसि॥३॥त्रिष्टुप्छंदसे नमः मुखे // 2 // वरुणदेवतायै नमःहृदि // 3 // विनियोगाय नमः सर्वांगे॥४॥इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ ध्रुवासुत्वासक्षितिषु इत्यंगुष्ठान्यां नमः॥१॥क्षियंतोव्य स्मत्याशु इति तर्जनीन्यां नमः॥२॥ वरुणो मुमोच इति मध्यमाभ्यां नमः // 3 // अबोवन्वाना अदिते इति अनामिका नयां नमः ॥४॥रुपस्थायूयंपात इति कनिष्ठिकाभ्यां नमः / / 5 / / स्वस्तिभिः सदानःस्वः इति करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥६॥ इति कर न्यासः / / ॐ ध्रुवामुत्वासक्षितिषु हृदयाय नमः // 1 // क्षियंतो व्यस्मत्याशु शिरसे स्वाहा // 2 // वरुणो मुमोच शिखायै वषट्॥३॥ अबोवन्वाना अदितेः कवचायहुम् // 4 // रुपस्थायूयंपात नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // स्वस्तिभिः सदानः स्वः अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // ॐ धुं नमः दक्षपादांगुल्यये / / / / ॐ वां नमः दक्षपादांगुलिमूले // 2 // ॐ सुं नमः / दक्षगुल्फे॥३॥ For Private And Personal Use Only