________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir www.kabalrm.org संप्राप्तो ह्यस्य स्तोत्रस्य पाठतः॥ पांडवोपि तथा राज्यं संप्राप्तो भैरवस्य च // 242 // अनेन स्तोत्रपाठेन किमलभ्यं भवेदिति // सर्व लोकस्य पूज्यस्तु जायते नात्र संशयः // 243 // इति श्रीरुद्रयामलोक्तश्रीवटुकभैरवसहस्रनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् // श्रीगणेशाय नमः॥ अथ श्रीबटुकभैरवस्तवराजप्रारंभः // ( उक्तं च रुद्रयामले ) // मेरुपृष्ठे सुखासीनं देवदेवं त्रिलोचनम् // शंकरं परिपप्रच्छ पार्वती परमे श्वरम् ॥१॥पार्वत्युवाच // य एष भैरवो नाम आपदुद्धारको मतः // त्वया च कथितो देव भैरवः कल्प उत्तमः // तस्य नामसहस्रा णि प्रयुतान्यर्बुदानि च // 2 // सारमुद्धत्य तेषां वै नामाष्टशतकं वद // यानि संकीर्तयन्मर्त्यः सर्वदुःखविवर्जितः // 3 // सर्वान्का मानवामोति साधकः सिद्धिमेव च // ईश्वर उवाच // शृणु देवि प्रवक्ष्यामि भैरवस्य महात्मनः // आपदुद्धारणस्येह नामाष्टशतमुत्तमम् // 4 // सर्वपापहरं पुण्यं सर्वापद्विनिवारणम् / / सर्वकामार्थदं देवि साधकानां सुखावहम् // 5 // सर्वमंगलमांगल्यं सर्वोपद्रवनाश नम् // आयुःकरं पुष्टिकरं श्रीकरं च यशस्करम् // 6 // आद्यन्ते स्तोत्रपाठस्य मूलमंत्र जपेन्नरः // अष्टोत्तरशतं धीमान् यथासंख्य मथापि वा // जपतिप्युत्तरन्यासाः कर्तव्या जपसिद्धये // 7 // आयुरारोग्यमैश्वर्य सिद्धार्थ विनियोजयेत् // साधकः सर्वलोकेषु सत्यंसत्यं न संशयः // 8 // ॐ अस्य श्रीवटुकभैरवस्तोत्रमंत्रस्य बृहदारण्यक ऋषिः / अनुष्टुप्छन्दः / श्रीवटुकभैरवो / देवता / अष्टबाहुमिति बीजम् // त्रिनयनमिति शक्तिः। प्रणवः कीलकम् / ममाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥ ॐ बृहदारण्यकक्ष ये नमः शिरसि 1 अनुप्छंदसे नमः मुखे 2 श्रीवटुकभैरवदेवतायै नमः हृदये 3 अष्टबाहुमिति बीजाय नमः गुह्ये 4 त्रिनयनेति शक्तये / नमः पादयोः 5 ॐ कीलकाय नमः नाभौ 6 विनियोगाय नमः सर्वांगे 7 // इति ऋष्यादिन्यासः॥ॐ ह्रां वाँ ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः For Private And Personal Use Only