________________ www.kobatm.org Acharya Shellssagaur yanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra म. म. तरं० 10 महि // तन्नः पशुः प्रचोदयात्" इति बलिकणे श्रावयित्वा खड्गं हस्ते चादाय प्रार्थयेत॥ "ॐ असिर्विशमनः खड्गस्तीक्ष्णधारो दुरा सदः // श्रीगो विजयश्चैव धर्मपाल नमोस्तु ते // 3 // इत्यष्टौ तब नामानि स्वयमुक्तानि वेधमा॥ नक्षत्रं कनिका ने तु गुरुर्देवो महेश्व रः॥२॥ रोहिणी च शरीरं ते धाता देवो जनाईनः // पिता पितामहो देवस्त्वं मां पालय सर्वदा // 3 // नीलजीमूतसंकाश स्तीक्ष्णदंष्ट्रः कृशोदरः॥ भावशुद्धो मर्षणश्च अतितेजास्तथैव च // 4 // इयं येन धृता क्षोणी हतश्च महिषासुरः। तीक्ष्णधाराय शुद्धाय तस्मै खड्गाय ते नमः // 5 // भैरवीरमनाबुद्ध्या एकघाते तु घातयेत् // 6 // " इति खड्गं संप्रार्थ्य "ॐ रे वज्रामुरनाशाय देव कार्यार्थतत्परः // पशुश्छेद्यः स्वयं शीघ्र खड्गनाथ नमोस्तु ते॥१॥” इति पठित्वा “पशुपाशाय विद्महे विप्रकर्णाय धीमहि // तन्न। छागः प्रचोदयात्" इति मूलं पठित्वा श्रीबटुकभैरवाय इमं छागबलिं तुल्यमहं प्रददे // इति बलिस्कंधे खड्गं दत्त्वा सकलं रुधिरं मुण्ड च देवाग्रे कत्वा ॐ अद्य पंचवर्षावच्छिन्नश्रीवटुकभैरवप्रीतिकाम इमं छागरुधिरं समुण्डं श्रीवटुकभैरव तुत्यमहं प्रददे / / इति समर्प्य ततः "ॐ बलिं गृहंत्विमं देवा आदित्या वसवस्तथा // मरुतो येऽश्विनौ रुद्राः सुपर्णाः पन्नगा ग्रहाः॥३॥ असुरा यातुधानाश्च पिशाचोरग राक्षसाः // डाकिन्यो यक्षवेताला योगिन्यः पूतना शिवाः // 2 // जूंभिकासिद्धगन्धर्वा मल्ला विद्याधरा नगाः // दिक्पाला लोक / पालाश्च ये च विघ्नविनाशकाः॥ 3 // जगतां शांतिकर्तारो ब्रह्माद्याश्च महर्षयः॥ मा विघ्नं मा च मे पापं मा संतु परिपंथिनः॥४॥ सौम्या भवन्तु तृप्राश्च भूतप्रेतसुखावहाः // 5 // " इति निवेदयेत् / ततो हस्तौ पादौ प्रक्षाल्य स्नात्वा तिलकं धृत्वा देवं संप्रार्थ्य पुष्पांजलिं च दत्त्वा बान्धवैः सह भुंजीत // एवमेव गजतुरङ्गादिना बलिं दद्यात् // “अनेन बलिदानेन सन्तुष्टो भैरवः स्वयम् // // 268 // For Private And Personal Use Only