________________ Shri Maharjan Aradhana Kendra www.kobatm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir म 7 एप बलियोगिनीभ्यो नमः" इति मंत्रेण बलिपात्रं दक्षिणमण्डल उत्सृजेत् // 2 // ततः पश्चिमे पूर्ववन्मंडलं संपूज्य तन्मध्ये-शं क्षेत्रपा लाय नमः' इति क्षेत्रपालमत्यर्च्य // पूक्तिपात्रे द्रव्यं पूरयित्वा अंकुशमुद्रां प्रदर्य दक्षांगुष्ठमध्यमानामान्यां बलिपात्रं गृहीत्वा “ॐ क्षांक्षी शं नो क्षः क्षेत्रपाल धूपादिसहितं बलिं गृहगृह स्वाहा पप बलिः क्षेत्रपालाय नमः” इति मंत्रेण बलिपात्रं पश्चिम मण्डल उत्सृजेत् // 3 ॥ततः उत्तरे-पूर्ववन्मंडलं संपूज्य तन्मध्ये 'गं गणेशाय नमः' इति गणेशमान्यर्च्य पूर्वोक्तपात्रे द्रव्यं पूरयित्वा दक्षा गुष्ठतर्जनीनामात्यां बलिपात्रं गृहीत्वा--"ॐ गां गी गूं ग गौं गः गणपतये वरवरद मर्वजनं मे वशमानय बलिं गृह्णयह एप बलिगं| गणपतये नमः” इति मंत्रेग बलिपात्रमुनरमण्डल उत्मृजेत् // 4 // ततो गणपतिसमीपे पूर्ववन्मण्डलं कृत्वा--ॐ ह्रीं व्यापकमण्ड लाय नमः" इति संपूज्य साधारणबलिं भाषभक्तं वा संस्थाप्य मृलेनाभिमंत्र्य तत्र धूपदीपादिभिः सर्वभूतानि संपूज्य तत्वमुद्रां प्रदर्य ॐ ह्रीं सर्वविन्नकद्भयः सर्वभूतेत्याहं स्वाहा एप बलिः सर्वभूतेत्यो नमः // इति मंत्रेण बलिपात्रं गणपतिसमीप उत्सृजेत् // इति पंच बलीन शक्तश्चेदेकमेव बलिं भैरवाय दद्यात् // इति पंचबलिदानम् // अथ पशुबलिदानप्रयोगः // अर्द्धरात्रे देवं संपूज्य पंचाब्दं सर्वलक्षणापेतं * छागायं पशुमानीय "ॐ वाराही यमुना गंगा करतोया सरस्वती // कावेरी चन्द्रभागा च सिंधुभैरवमागराः // // अजम्नाने ममे शानि सान्निध्यमिहकल्पय // पशुपाशविनाशाय हेमकूटस्थिताय च // पराय परमेष्टिने हूंकाराय च मूर्तये // 2 // " इति जलमभि मंत्र्य मूलेन नापयित्वा सिंदूरमाल्यादिभिरलंकृत्य देवस्याये संस्थाप्य मूलं पठित्वा गन्धमिश्रितार्योदकेन त्रिः संप्रोक्ष्य अत्रेण संरक्ष्य , कवचेनावगुंख्य धेनुमद्रयामृतीकृत्य कृतांजलिः प्रार्थयेत् // “ॐ डाग त्वं बलिरुपेण महानाग्यादुपस्थितः // प्रणमामि सदा भक्त्या / For Private And Personal Use Only