________________ www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तत्यः॥” इति पुष्पांजलि दत्त्वा प्रणमेत् // इति भूतेभ्यो बलिं दत्त्वा हस्तौ पादौ प्रक्षाल्याचमेत्॥ ततः "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सवा / वस्था गतोपि वा // यः स्मरेत्पुंडरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः // 1 // " इति मंत्रण मंडपांतरं प्रोक्ष्य // तत्र तावदासनभूमौ I कर्मशोधनं कार्यम् // यत्र जपकर्ता एक एव तदा कूर्ममुखे उपविश्य तत्रैव जपं दीपस्थापनं च कुर्यात् // यत्र बहवः जापकास्तत्र कर्ममुखोपरि दीपमेव स्थापयेत् // एवं कूर्मशोधन विधाय तर आमनाधो जलादिना त्रिकोणं कृत्वा तत्र “ॐ कूर्माय नमः // 1 // ॐ ह्रीं आधारशक्तिकमलासनाय नमः॥ 2 // ॐ पृथिव्यै नमः // 3 // " इति गंधाक्षतपुष्पैः संपूज्य तदुपरि कुशासनं तदुपरि मृगा जिनं तदुपरि कम्बलाद्यासनमास्तीर्य स्थापितानां त्रयाणामासनानामुपरि क्रमेण "ॐ अनन्तासनाय नमः // 1 // ॐ विमलासनाय नमः // 2 // ॐ पद्मासनाय नमः // 3 // " इति मंत्रत्रयेण त्रीन दर्भान प्रत्येकं निदध्यात् // एवमासनं मस्थाप्य तत्र प्राङ्मख उद ङ्मुखो वा उपविश्यामनं शोधयेत् ॥नत्र मंत्रः // ॐ पृथ्वीति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः / कूर्मोदेवता / सुतलञ्छन्दः / आसने विनियोगः // “ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता // त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् // 1 // " इति मंत्रणासनं प्रोक्ष्य ततो। मूलेन शिखां बद्धा आचम्य प्राणानायम्य देशकालो संकीर्त्य मम श्रीमद्भटुकभैरवदेवताप्रीतये अमुकमंत्रसिद्ध्यर्थ लक्षसंख्यात्मकं (अथा। वा एकविंशतिलक्षसंख्यात्मकं ) जपं तत्तद्दशांशहोमतर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनरूपपुरश्चरणमहं करिष्ये इत्युच्चार्य जलं भूमौ क्षिपेत् // नतो भूतशुद्धिप्राणप्रतिष्ठांतर्मातृकाबहिर्मातृकासृष्टिस्थितिसंहारमातृकान्यासान्सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण कृत्वा प्रेतबीजाद्यसरस्वतीबीजांत पंच दश न्यासान कुर्यात // तद्यथा // ॐ हसहाँहृदयाय नमः // 1 // ॐ हमही शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ हमही शिखायै वषट् // 3 // ॐ For Private And Personal Use Only