________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir मं० म० तरं०१० श्मशाननिकटे गत्या पादौ प्रक्षाल्य आचम्य स्वेष्टदेवतां ध्यात्वा बद्धाअलिरिदं वाक्यं वदेत् / “ॐ अत्र श्मशाने याः काश्चिदेवता निव० ख०१ संति हि // ताः प्रयच्छंतु मे सिद्धिं प्रसन्नाः संतु पातु माम् // 1 // " इति संप्रार्थ्य आत्मरक्षां कुर्यात् // तथा च / अक्षतानादाय पूर्व मां शंकरः पातु तथा ग्यां च शूलधृक् // कपाली दक्षिणे पातु नैऋत्ये जटिलोवतु // 1 // पश्चिमे पार्वतीनाथो वायव्ये प्रम थाधिपः // उत्तरे मुंडमालोव्यादेशान्ये वृषभध्वजः // 2 // ऊर्व पातु तथा शंभुरधस्तादृलिधृमरः // अमतो भैरवः पातु पृष्टतः पातु खेचरः // 3 // दक्षिणे भचरः पातु वामे च पिशिताशनः // केशान्पातु विशालाक्षो मूर्धानं च मरुत्मियः // 4 // मस्तकं पातु भृग्वीशो नेत्रे पातु महामनाः // कपोलौ पातु वीरेशो गंडौ गंडानिमर्दनः // 5 // उत्तरोष्ठे विरूपाक्षो ह्यधरे योगिनीप्रियः // अक्षेषु दक्षविध्वंसी चिबुके तु कपालधृक् ॥६॥कण्ठे रक्षतु मां देवो नीलकण्ठो जगद्गुरुः // दक्षस्कंधे गिरीन्द्रेशो वामस्कंधे वसुंजयः // 7 // दक्षिणे च भुजे सर्वमंत्रनाथः सदाऽवतु // वामे भुजे सार्वभौमो हृदये पातु पाण्डरः // 8 // दक्षहस्ते पशुपति मे पातु महेश्वरः॥ उदरे / सर्वकल्याणकारकोवतु मां सदा // 9 // नाभौ कामप्रविध्वंसी जंघे पातु दयामयः // जानुनी पातु जामित्रो गुल्फो गौरीपतिः सदा // 10 // पादपृष्ठे सामनिधिस्तथा पादांगुलीहरः // पादाधः पातु सततं व्योमकेशो जगत्प्रियः // 11 // " इति आत्मरक्षामंत्रान पठित्वा पूर्वादिदिक्षु रक्षाबीजमंत्रान् पठेत् // ॐ हाहींहूँहः नमः पूर्वे // 1 // ॐ हिं हूँ ह्रीं नमः आग्नेये॥ 2 // ॐ ह्रीश्रीं नमः दक्षिणे M // 3 // ग्लँ ब्लँ नगनग नमः नैनत्ये // 4 // ॐ पूँD | संसः नमः पश्चिमे // 5 // ॐ प्रां मां नमः वायव्ये // 6 // ॐ त्रांचा // 241 // भैरवाय नमः उनरे // 7 // ॐ बांबमफट नमः ऐशान्ये // 8 // ॐ ग्लौं ब्लँ नमः ऊर्चे // 9 // ॐ घाँघुवः नमः अधोदेशे। For Private And Personal Use Only