________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं० म. // 232 // श्रीपादुकां पू० // 7 // ऐशान्ये // ॐ ह्रीं अतिथीशगोमखीत्यां नमः / अतिथीशगोमुखीश्रीपा० // 8 // पूर्याग्निमध्ये / ॐ ह्रीप०३०१ लं स्थाण्वीशदीर्घजिह्वान्यां नमः / स्थाण्वीशदीर्घजिह्वाश्रीपा० // 9 // दक्षिणतमध्ये।। ॐ ह्रींलं हरेगडोदरीभ्यां नमः। भतर हरेशकुंडोदरीश्रीपा०॥१०॥ पश्चिमवायुमध्ये / ॐ ह्रीं ऐझिंटीशोर्यकेशीयां नमः / झिंदीशा के शीश्रीपा०॥11॥ उत्तरेशानमध्ये। तरं० 10 ॐ ह्रीं ऐं भौतिकेशविकतमुखीभ्यां नमः / भौतिकेशविकतमुखीश्रीपा० // 12 // अग्निदक्षिणमध्ये / ॐ ह्रीं ओंकोजातेशज्वालामुखीयां नमः / सद्योजातेशज्यालाखीश्रीपा०॥१३॥नितिबरुणमध्ये / ॐ ह्रीं औं अनुग्रहशोल्कामुखीयां नमः / अनुपहेगोल्कामुखीश्रीपा०d // 14 // वायुसोममध्ये // ॐ ह्रीं अं अरेशश्रीमुखीच्यां नमः / अक्रूरेशश्रीमुखीश्रीपा० // 15 // ईशानपूर्वमध्ये // ॐ हीं अः। महासेनेशविद्यामुखीयां नमः / महासेनेशविद्यामुखीश्रीपा०१६॥ इति पूजयेत्॥ ततः पुष्पांजलिं गृहीत्वा मूलमुचाय। "अभीष्टसिद्धि मे देहि शरणगतवत्सल।भक्त्या समर्पये तुभ्यं सामावरणार्चनम्" / / इति पठित्वा पुष्पांजलिं दत्त्वा विशेषादिदं अयोपरि निक्षिप्य पृजिता है। स्तर्पिताः संतु इति वदेत्॥ इति मनमावरणम्॥७॥ततो भपुरस्य द्वितीयरेखायां दिग्विदिगंतरालेषु पोडशस्थानेषु कोधीश्वरायपोइशांतान॥ लापूजयेत्॥ तत्र क्रमः। पूर्व / ॐ ह्रीं के क्रोधीशमहाकालीन्यां नमः / क्रोधीशमहाकालीश्रीपा०॥३॥ दक्षिणे / ॐ हीं वं चंडीशसरस्य || तीच्यां नमः। चंडीशसरस्वतीश्रीपा॥२॥ पश्चिमे। ॐ ह्रीं गं पंचांतकेशममिद्धिगौरीभ्यां नमः। पंचांतकेशमधमिद्धिगौरीश्रीपा०॥३॥ // 232 // उत्तरे / ॐ ह्रीं धं शिवोनमेशत्रैलोक्यविजयान्यां नमः। शिवोत्तमेशत्रैलोक्यविजयाश्रीपा० // 4 // आनेय्याम् / ॐ ह्रीं डं एकरुद्रेशमंत्र शक्तियां नमः / एकरुद्रेशमंत्रशक्तिश्रीपा० // 5 // नैकत्ये // ॐ ह्रींचं कर्मशात्मकशक्तियां नमः / कर्मशात्मकशक्तिश्रीपा० // 6 // For Private And Personal Use Only