________________ www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra म. तरं०१० कलविकरण्यै नमः // 5 // ॐ बं बलविकरण्यै नमः॥ 6 // ॐ वं बलप्रमथिन्यै नमः // 7 // ॐ सं सर्वभृतदमन्यै नमः // // el0 खं० 1 मध्ये / ॐ मं मनोन्मन्ट नमः // 1 // इति पूजयेत् // ततः स्वर्णादिनिर्मितं यत्रं मूर्ति वा ताम्रपात्रे निधाय घृतेनास्यज्य तदुपरि दुग्ध भै० तं• धारा जलधारांच दत्वा स्वच्छवस्त्रेण मंशोप्य ततः शक्तिगंधाष्टकेन यंत्रं विलिग्व्यॐ नमो भगवने बटुकाय सकलगुणात्मशक्तियुक्ताय अनंताय योगपीठात्मने नमः // " इति मंत्रेण पुष्पाद्यामनं दत्त्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्रतिष्ठां च कृत्वा पुनर्थ्यात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्प्य | आवाहनादिपप्पांनैरुपचारैः संपूज्य देवाज्ञां गृहीत्वा आवरणपूजां कुर्यात् // तथा च॥ पुष्पांजलिमादाय / "ॐ सविन्मयः परो देवः पराध मृतग्सप्रियः / / अनुज्ञां देहि बटुक परिवारार्चनाय में // 1 // इत्युका पुष्पांजलिं भैरवोपरि दत्त्या आज्ञां गृहीत्वा आवरणपूजामारभेत् // अत्र सर्वत्र पूज्यपूजकयोरंतराले प्राची तदनुसारेण अन्या दिशः प्रकल्प्य आवरणदेवतां पूजयेत // ततो दक्षहस्ते तर्जन्यंगुष्ठायां गंधाक्षतपुष्पाणि गृहीत्वा देवस्यांगे आग्नेन्यादिचतुर्दिश्च मध्ये दिक्षु च ॐ ह्रां यां हृदयाय नमः / हृदयश्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः // इनि सर्वत्रीच्चरेत // 3 // ॐ ह्रीं बी शिरमे स्वाहा शिरःश्रीपा० // 2 // ॐ ह्र बं शिखायै वषट् शिखाश्रीपा०॥ 3 // ॐ ह्र व कवचाय हम कवचश्रीपा० // 4 // ॐ ह्रौं बौं नेत्रत्रयाय वौषट नेत्रत्रयश्रीपा० // 5 // ॐ ह्रः वः अस्त्राय फट् अखश्री लिंगस्यां पूजयेठेवीं पुस्तकस्था तथव च // मण्डलस्था महामायां यवस्था प्रतिमासु च // सौवर्ण राजते ताने पट्टे भूजय वा भुवि / विना यंत्रण चत्पूजा देवता न प्रसीदति // २-शनपटगंधी यथा-स्वयंभूरुजुर्म कुंडगोलात्वं रोचनागुरु // काश्मीरमृगनाभिं च साह्यं च मलयोद्भवम् // एष गंधः समारख्यातः सर्वदा चण्डिकाप्रियः / / For Private And Personal Use Only