________________ Shri Mahavirian Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir गोपनीयं स्वयोनियत् // 28 // पाठः // ॐ श्रीपञ्चवदनायाञ्जनेयाय नमः॥ ॐ अस्य श्रीपंचमुखहनुमन्मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छंदः: पंचमुखविराडूनुमान्देवता / ह्रीं बीजम्॥श्री शक्तिः। कौं कीलकम् / - कवचम् / के अबाय फट् / इति दिग्बंधः // श्रीगह उवाच // अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वाङ्गसुंदरि // यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमतः प्रियम् // 3 // अथ ध्यानम् // पंचवक्रं महा| भीमं त्रिपंचनयनैर्युतम् / / बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम् // 1 // पूर्व तु वानरं वक्वं कोटिसूर्यसमप्रभम् // दंष्ट्राकरालवदनं / भृकुटीकुटिलेक्षणम् // 2 // अस्यैव दक्षिणं वकं नारसिंहं महाद्भुतम् / / अत्युग्रतेजोवपुर्ष भीषणं जयनाशनम् // 3 // पश्चिमं / ||गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम् // सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकंतनम् // 4 // उत्तरं सौकरं वकं कृष्णं दीप्तं नभोपमम् / / लापातालसिंहवेताल ज्वररोगादिकंतनम् // 5 // ऊर्च हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम् // येन वक्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासरम // 6 // जघान शरणं तत्म्यात्सर्वशत्रुहरं परम // ध्यायेत्पंचमुखं रुद्रं हनुमंत दयानिधिम् // 7 // खड़े त्रिशूलं खटाई पाशमंकुशपर्वतम् // मुष्टिकौमोदकी वृक्षं धारयंतं कमण्डलुम् / / 8 // भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुंगव // एतान्यायुधजा लानि धारयतं भजाम्यहम् // 9 // प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम् // दिव्यमालांबरधरं दिव्यगंधानुलेपनम् // 10 // सर्वाश्चर्यमयं देवं हनूमविश्वतोमुखम्॥११॥पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्ण वक्र शशांकशिखरं कपिराजवर्यम् // पीताम्बरादिमुकुटैरुपशो भिताङ्ग पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि // 12 // मर्कटेश महोत्साह सर्वशत्रुहरः परः // शत्रु संहर मां रक्ष श्रीमन्नापद उद्धर // 13 // ॐ हरिमर्कटमर्कटमंत्रमिमं परिलिख्यतिलिख्यति वामतले // यदि नश्यतिनश्यति शत्रुकुलं यदि मुंचतिमुंचति वामलता For Private And Personal Use Only